खून पतला करने वाली दवाएं बचा रही हैं कोरोना मरीजों की जान

By: Priyanka Maheshwari Wed, 13 May 2020 10:15:34

खून पतला करने वाली दवाएं बचा रही हैं कोरोना मरीजों की जान

करोना वायरस से पूरी दुनिया में 43 लाख 40 हजार 58 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 2 लाख 92 हजार मौतें हो चुकी हैं, जबकि 16 लाख दो हजार 155 लोग ठीक हो चुके हैं। लोगों को ठीक करने के लिए अब डॉक्टर खून को पतला करने वाली दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। जर्नल ऑफ अमेरिकल कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इसे लिखने वाले डॉ. वैलेंटीन फस्टर ने बताया कि कोरोना के गंभीर मरीजों के शरीर में खून का थक्के बन रहे हैं। ये जानलेवा साबित हो रहा है। इसलिए खून पतला करने की दवाओं से आधे मरीजों की जान बचाई जा रही है।

खून पतला करने वाली दवाएं बनी जीवनरक्षक

दरअसल, तकरीबन तीन हफ्ते पहले अमेरिकी डॉक्टर्स इस बात को लेकर चिंता में थे कि कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को कैसे बचाएं? क्योंकि उनका खून जम रहा था। ऐसे में इन मरीजों को बचाने के लिए खून को पतला करने वाली दवाएं दी जा रही थीं। लेकिन अब एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि खून पतला करने वाली दवाएं जीवनरक्षक बन रही हैं। डॉक्टर वैलेंटीन फस्टर अमेरिका में माउंट सिनाई कार्डियोवैस्कुलर इंस्टीट्यूट के प्रमुख भी हैं। डॉ फस्टर ने बताया कि मैंने देखा है कि कोरोना वायरस कैसे मरीजों के खून को जमा रहा है। इसके साथ रेमडेसिविर दवा भी कोरोना के मरीजों को बचाने में कारगर साबित हो रही है।

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डॉक्टर फस्टर ने बताया 'जिन मरीजों को खून पतला करने की दवा दी गई थी। उनमें से मरने वालों की संख्या में गिरावट देखी गई। जबकि, जिन्हें ये दवा नहीं मिली वो मारे गए। यही नहीं, खून पतला करने वाली दवा की वजह से बेहद गंभीर मरीजों का सर्वाइवल भी बढ़ा है।'

अमेरिका समेत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस मरीजों के शरीर के अंदर बह रहे खून को जमा दे रहा है। यह चौंकाने वाली घटना अमेरिका में सिर्फ एक-दो जगहों पर नहीं हुई है। अमेरिका के अटलांटा प्रांत के एमोरी यूनिवर्सिटी हेल्थ सिस्टम के अधीन आने वाले 10 अस्पतालों में शरीर के अंदर खून जमने से लोगों के मौत की जानकारी सामने आई है।

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द वॉशिंगटन पोस्ट अखबार ने लिखा है कि अटलांटा के इन 10 अस्पतालों के ICU के प्रमुख डॉ क्रेग कूपरस्मिथ ने बताया कि किसी अस्पताल में खून जमने से 20% मरीजों की मौत हुई तो कहीं 30 और कहीं 40%। यह संकट तेजी से बढ़ रहा है। खून जमने से रोकने के लिए सिर्फ खून पतला करने की दवा है। वहीं दे रहे हैं। क्योंकि मेडिकल साइंस में शरीर के अंदर खून जमने की बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के लिए खून को पतला करने वाले थिनर दिए जाते हैं। लेकिन कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के शरीर में थिनर भी पूरी तरह से काम नहीं कर पा रहा है।

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खून जेल जैसा गाढ़ा हो जाता है

सामान्य तौर पर डॉक्टरों ने नोटिस किया है कि पहले कोरोना वायरस के मरीजों के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है। इसके बाद वे बेहोश हो जाते हैं। या फिर उन्हें दिल का दौरा पड़ता है। लेकिन खून में आ रहे इस बदलाव को डॉक्टर समझ नहीं पा रहे हैं। खून जमना यानी शरीर के अंदर बह रहा खून जेल जैसा गाढ़ा हो जाता है। इसके बाद ज्यादा सख्त हो जाता है। आमतौर पर ब्लड क्लॉटिंग या खून जमने की समस्या ईबोला, डेंगू या अन्य प्रकार के हेमोरेजिक बुखारों में देखने को मिलता है। कोरोना में ऐसे लक्षण पहली बार देखने को मिले हैं।

पोस्टमॉर्टम में सामने आई ये बात

जब कोरोना मरीजों के शरीर का पोस्टमॉर्टम किया गया तो पता चला कि मरीजों के फेफड़ों में खून के छोटे-छोटे जमे हुए थक्के थे। दिल की नलियों, दिमाग की नसों में थोड़े बड़े खून के थक्के थे। इसकी वजह से दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। दिल का दौरा पड़ने से मरीज की मौत हो गई।

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खून जमने से पैरों का रंग नीला पड़ने लगता है

पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख लेविस कैपलैन ने कहा कि जिस कोरोना वायरस मरीज के शरीर में खून जमना शुरू होता है। सबसे पहले उसके पैरों का रंग नीला पड़ने लगता है। वह सूजने लगता है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी इरविंग मेडिकल सेंटर के फेलो बेहनूद बिकदेली ने कहा कि चीन से जो शुरुआती आंकड़े आए थे, उसमें से 183 मरीजों के रिपोर्ट जांची गई थी। उसमें से 70% मरीजों के शरीर में खून जमने के सबूत मिले थे।

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