Yoga Day Special: माइग्रेन से निजात दिलाता है भ्रामरी प्राणायाम, जानें इसकी विधि और फायदे
By: Ankur Fri, 21 June 2019 09:39:34
योग और प्राणायाम हमारे जीवन में संजीवनी बूटी बनकर आया हैं। हांलाकि भारत में योग कई सालों से हैं लेकिन अब इसकी महत्ता सभी को समझने आने लगी हैं। जी हाँ, जो रोग दवाइयों से दूर नहीं हो सकता वह योग और प्राणायाम द्वारा दूर किया जा सकता हैं। प्राणायाम का स्वस्थ व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ा योगदान हैं। योग और प्राणायाम की इसी महत्ता और योगदान को देखते हुए हर साल 21 जून का दिन पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाया जाता हैं। इसी कड़ी में आज हम आपके लिए भ्रामरी प्राणायाम की विधि और इसके फायदों की जानकारी लेकर आए हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि
किसी भी शांत वातावरण में बैठ जाएँ। ध्यान करने के किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठें। आखें बंद कर लें और कुछ समय के लिए पूरे शरीर को शिथिल कर लें। अभ्यास के दौरान होठों को हल्के से बंद रखें और दाँतों की पंक्तियों को थोड़ा अलग रखें। ऐसा करने से ध्वनि ज़्यादा साफ सुनाई देती है। तर्जनी या मध्यमा ऊँगली से कानों को बंद कर लें। यदि नादानुसंधान के आसान का प्रयोग कर रहे हों, तो कानों को अंगूठे से बंद करें और बाकी चारों उंगलियों को सिर पर रखें।
एक लंबी गहरी श्वास अंदर ले और फिर श्वास छोड़ते हुए धीरे से उपास्थि (Cartilage) को दबाएँ। आप चाहें तो उपास्थि (Cartilage) को दबा कर रख सकते हैं या फिर उसे छोड़ दें और फिर दुबारा श्वास छोड़ते हुए दबायें। यह प्रक्रिया करते समय मधुमख्खी जैसी भिनभिनाने की आवाज़ निकालें। ध्वनि ऊँची रखना अधिक लाभदायक है। अगर आपके लिए यह मुमकिन ना हो तो ध्वनि नीची भी रख सकते हैं। इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराएँ।
भ्रामरी प्राणायाम करने के फायदे
- भ्रामरी प्राणायाम आपको चिंता और क्रोध से मुक्त करता है। अगर आपको हाइपरटेंशन की शिकायत हो तो यह प्राणायाम अवश्य करें।
- गर्मी और सिर दर्द से राहत पाने में मदद करता है भ्रामरी प्राणायाम।
- माइग्रेन और हाई बीपी के लिए चिकित्सिकिय है।
- इस प्राणायाम निरंतर करने से आपकी बुद्धि तेज़ होगी और आत्मविश्वास बढ़ेगा।