उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन की विधि और फायदे

By: Ankur Thu, 21 June 2018 12:38:34

उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन की विधि और फायदे

वर्तमान समय की रोगग्रस्त जीवनशैली में सबसे ज्यादा जरूरत होती है खुद के स्वास्थ्य के लिए समय निकालना रोगों से दूरी बनाए रखना और इसके लिए योग से बेहतर कुछ हूँ ही नहीं सकता। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन। तो चलिए जानते हैं उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन की विधि और फायदे के बारे में।

* उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन करने की विधि

ताड़ासन में खड़े हो जायें। श्वास अंदर लें और अपनी दाईं टाँग को उठा कर घुटने को पेट के समीप ले आयें। इस मुद्रा में आपके दायें कूल्हे पर खिचाव आएगा। अगला स्टेप करने से पहले अपना संतुलन पक्का कर लें। संतुलन बनाए रखने के लिए ध्यान अपनी बायें टाँग पर रखें। अब आपना बायां हाथ कमर पर रख लें। फिर दाए हाथ से दाए पैर का अंगूठा पकड़ लें और दाए टाँग को आगे की तरफ बढ़ायें। कोशिश होनी चाहिए की टाँग पूरी तरह से सीधी हो जाए और जितनी ऊपर हो सके उतनी ऊपर कर लें। ध्यान रहे की अपनी क्षमता के अनुसार ही करें अगर टाँग सीधा ना की जाय, दो उसे मुड़ा रखें। इस मुद्रा में आने के बाद, हो सके तो साँस छोड़ते हुए सिर को घुटने पर छुएँ। यह करने के बाद इस मुद्रा में पाँच बार साँस अंदर और बाहर लें। फिर साँस अंदर लेते हुए सिर को उठायें। अगर सिर को घुटने पर छूना मुमकिन ना हो तो, सिर्फ़ सिर झुका कर ज़मीं की तरफ देखें और पाँच बार साँस अंदर और बाहर लें और फिर सिर को उठायें। अब अपनी दृष्टि सामने की ओर रखते हुए और साँस छोड़ते हुए अपनी दाईं टाँग को बाहर की तरफ घुमाएँ। हो सके तो 90 दर्जे तक घुमाएँ। इस मुद्रा में आने के बाद सिर को बायें ओर घुमाएँ जब तक की आपकी दृष्टि बाएँ कंधे के उपर ना आ जाए। कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें। 5 बार साँस लेने के बाद आप इस मुद्रा से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए साँस अंदर लेते हुए सिर को सामने की ओर वापिस ले आयें, और फिर दाईं टाँग को भी। एक बार फिर सिर को घुटने पर टिकाए और वापिस उपर ले आयें इस बार पाँच बार साँस नहीं लेना है। दाएँ हाथ को भी कमर पर रख लें, पर दाईं टाँग को उठाए रखें इस मुद्रा में पाँच बार साँस अंदर और बाहर लें। आसन समाप्त करने के लिए दाईं टाँग को नीचे कर लें, दोनो हाथों को भी नीचे कर लें और ताडासन में समाप्त करें। दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें।

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* उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन करने के फायदे

- टाँगों, घुटनों और टख़नों में खिचाव लाता है और उन्हे मज़बूत बनाता है।

- जिस टाँग को आप उठाते हैं, उस टाँग की हॅम्स्ट्रिंग और कूल्हे में ख़ास तौर से अच्छा खचाव लाता है।

- जिस टाँग पर आप खड़े होते हैं, उसको यह ख़ास तौर से मज़बूत बनाता है।

- ध्यान रखने की क्षमता में सुधार लाता है।

- आपके शारीरिक संतुलन को बढ़ाता है।

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