बजट के चलते बंद हुई ‘चंदा मामा दूर के’
By: Geeta Sat, 14 Apr 2018 9:52:47
गत वर्ष सुशांत सिंह राजपूत को लेकर निर्माता विक्की राजानी ‘चंदा मामा दूर के’ नामक फिल्म बनाने जा रहे थे। घोषणा के बाद से सुशांत सिंह राजपूत ने इस फिल्म को लेकर अपनी तैयारियाँ शुरू कर दी थीं। लेकिन गत वर्ष इसकी शूटिंग शुरू नहीं हो पाई और अब जो समाचार आ रहे हैं उनके अनुसार विक्की राजानी ने इस फिल्म के निर्माण से अपने हाथ खींच लिए हैं जिसके चलते यह अनिश्चित काल के लिए बंद हो गई है। डीएनए ने यह जानकारी दी है कि ‘चंदा मामा दूर के’ का बजट काफी ज्यादा है, जिस कारण निर्माता इस पर पुनर्विचार कर रहे हैं। प्रोड्यूसर विकी रजानी, सुशांत की इस फिल्म को सपोर्ट करने वाले थे लेकिन अब यह अनिश्चित काल के लिए रुक गई है। जब फिल्म के निर्माताओं ने इस का ऐलान सुशांत के साथ किया था तब इसकी लागत का अंदाजा नहीं लगाया था। जब उन्होंने सारा हिसाब लगाया तो वो दंग रह गए।
सूत्रों ने डीएनए को बताया है कि, ‘फिल्म चंदा मामा दूर के की लागत लगभग 67 करोड़ रुपये के आसपास है। निर्माता इतनी बड़ी रकम सुशांत सिंह राजपूत के ऊपर लगाने से डर रहे हैं। ऐसे बड़े प्रोजेक्ट में जब तक कोई बड़ा स्टार नहीं होता है, तब तक इसकी रिकवरी मुश्किल ही होती है। वैसे हम आपको यहां यह जानकारी भी दे दें कि सुशांत सिंह राजपूत की ‘केदारनाथ’ की लागत भी लगभग 60 करोड़ रुपये है। बता दें कि भले ही ‘चंदा मामा दूर के’ के निर्माता इसको बंद करने के बारे में सोच रहे हों लेकिन सुशांत सिंह राजपूत ने अभी भी अपनी तैयारी नहीं रोकी है। उन्होंने अपने कमरे को एक एस्ट्रोनॉट के कमरे की तरह सजा रखा है। उन्हें अभी भी लगता है कि यह फिल्म बनेगी।
सुशांत सिंह राजपूत की तैयारियों पर सूत्र ने बताया है कि, ‘सुशांत ने चंदा मामा दूर के लिए अपनी तारीखों में भी बदलाव किया था। यह फिल्म पिछले साल शुरू होने वाली थी लेकिन ऐसा हो नहीं सका और इसी बीच केदारनाथ शुरू हो गई। किसी को सुशांत के लिए यह समझाना चाहिए कि उनकी चंदा मामा दूर के फिल्म अब नहीं बन पायेगी।’
एक दूसरे सूत्र ने डीएनए को जानकारी दी है कि, ‘ऐसा संभव हो सकता है कि ‘चंदा मामा दूर के’ के निर्माता इसे बनायें लेकिन उसमें सुशांत न हों। क्योंकि फिल्म का बजट बहुत ज्यादा हो गया है इसलिए निर्माता किसी बड़े स्टार को या फिर सुशांत की जनरेशन के एक सुपरस्टार को फिल्म में ले सकते हैं। इससे फिल्म की लागत वसूलने में ज्यादा आसानी होगी।’