श्रीदेवी : दो भिन्न पक्षों को दर्शाती फ़िल्में 'सदमा' और 'चालबाज'
By: Priyanka Maheshwari Mon, 26 Feb 2018 10:13:05
बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रीदेवी की अचानक मौत से सभी को सदमा लगा है। उनका पार्थिव शरीर आज मुंबई लाया जाएगा। बता दें कि श्रीदेवी एक शादी में शामिल होने के लिए पति और बेटी के साथ दुबई गई हुईं थीं। कोई इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा है कि कुछ घंटे पहले तक एक शादी समारोह में हंसती-खिलखिलाती, नाचती श्रीदेवी की अचानक मौत कैसे हो गई। श्रीदेवी के कार्डियक अरेस्ट से हुई मौत ने कई सवाल उठा दिए हैं।
वही श्रीदेवी के फ़िल्मी करियर की बात की जाए तो उसको संवारने में जहाँ मिस्टर इंडिया, नगीना, चांदनी, लम्हे का हाथ रहा वहीं दो और ऐसी फिल्में रहीं जिन्होंने उनकी अभिनय क्षमता पर उभरने वाले समस्त सवालों का जवाब दिया। यह फिल्में थी सदमा और चालबाज। ‘सदमा’ का निर्माण रोमू एन सिप्पी और राज एन सिप्पी ने किया था। अस्सी के दशक में राज एन सिप्पी सफल निर्देशकों में शामिल होते थे लेकिन उन्होंने इस फिल्म का निर्देशक बालू महेन्द्रा से करवाया जिन्होंने इस फिल्म के मूल तमिल वर्जन को निर्देशित किया था। वहीं दूसरी ओर ‘चालबाज’ का निर्देशन पंकज पाराशर ने किया था। यह रमेश सिप्पी की ‘सीता और गीता’ का रीमेक थी। इस फिल्म में श्रीदेवी ने दोहरी भूमिका (अंजू और मंजू) की निभायी। इसके साथ ही उन्होंने यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी ‘लम्हे’ और मुकुल एस.आनन्द के निर्देशन में बनी ‘खुदा गवाह’ में दोहरी भूमिका निभाई थी।
‘सदमा’ की वो 20 साल की लडक़ी जो पुरानी जि़ंदगी भूल चुकी है और वो सात साल की मासूमियत लिए एक छोटी बच्ची की तरह कमल हसन के साथ उसके घर पर रहने लगती है। याद आता है रेलवे स्टेशन का वो दृश्य जहाँ याददाश्त वापस आने के बाद ट्रेन में बैठी श्रीदेवी कमल हसन को भिखारी समझ बेरुखी से आगे बढ़ जाती है और कमल हसन बच्चों सी हरकतें करते हुए श्रीदेवी को पुराने दिन याद दिलाने की कोशिश और करतब करते हैं। सदमा का यह दृश्य हिन्दी फिल्मों के बेहतरीन दृश्यों में से एक है।
गत वर्ष प्रदर्शित हुई ‘मॉम’ उनकी अन्तिम प्रदर्शित फिल्म रही, जिसे उनके पति बोनी कपूर ने निर्मित किया था। यह उनके करियर की 300वीं फिल्म थी। यह माँ के इंतकाम की फिल्म थी, जिसमें एक माँ अपनी बेटी के साथ हुए सामूहिक बलात्कार का बदला लेती है। फिल्म का एक संवाद ‘अगर गलत और बहुत गलत में से चुनना हो तो आप किसे चुनेंगे’, नश्तर की तरह दर्शकों के दिलों में चुभता है। ‘मॉम’ को उनके पति ने फिल्मों में 50 वर्ष पूरे होने के दिन प्रदर्शित किया था। 50 साल में 300 फिल्मों में काम करने वाली श्रीदेवी ने सपने में भी यह नहीं सोचा था कि वे अपनी पुत्री जाह्नवी कपूर की पहली फिल्म ‘धडक़’ नहीं देख पाएंगी। धडक़ 20 जुलाई 2018 को प्रदर्शित हो रही है।
चांदनी की सी रोशनी बिखेरनी वाली, बड़ी बड़ी आँखों वाली श्रीदेवी हिन्दी अभिनेत्रियों से एकदम जुदा थी। उनके अभिनय से सजी फिल्में हमेशा दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान छोड जाती थी। उनके न होने का अफसोस बॉलीवुड को हमेशा रहेगा। नई पीढ़ी की नायिकाओं की तुलना अब उनसे हमेशा की जाएगी। हो सकता है आने वाले समय में कोई ऐसी नायिका आए जो श्रीदेवी के रिक्त स्थान को भरने में कामयाब हो जाए। हालांकि इस बात की उम्मीद बहुत कम नजर आती है। हर अभिनेता-अभिनेत्री का अपना एक अंदाज होता है, श्रीदेवी का अपना एक अंदाज था, जिसे कोई नहीं मिटा सकता।