ए.आर. रहमान: 200 करोड से ज्यादा बिकी गानों की रिकॉर्डिंग, विश्व के Top 10 म्यूजिक कंपोजर्स में आता है नाम, कुछ और रोचक जानकारियाँ
By: Geeta Sun, 06 Jan 2019 2:11:11
फिल्मों में ए.आर. रहमान के नाम से ख्यात संगीतकार का पूरा नाम ‘अल्लाह रक्खा रहमान’ है, जिन्होंने मुख्य रूप से हिन्दी और तमिल फिल्मों में संगीत दिया है। ए.आर.रहमान का जन्म 6 जनवरी, 1967 को चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में हुआ। जन्मत: उनका नाम ‘अरुणाचलम् शेखर दिलीप कुमार मुदलियार’ रखा गया। धर्मपरिवर्तन के पश्चात उन्होंने अपना नाम अल्लाह रक्खा रहमान रखा।
ए. आर. रहमान उसी का संक्षिप्त रूप है। रहमान ने अपनी मातृभाषा तमिल के अतिरिक्त हिंदी तथा कई अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है। टाइम्स पत्रिका ने उन्हें ‘मोजार्ट ऑफ मद्रास’ की उपाधि दी। रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय व्यक्ति हैं। ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए दो ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इसी फिल्म के गीत ‘जय हो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार भी मिले।
रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिला है। उनके पिता राजगोपाल कुलशेखर (आर. के. शेखर) मलयालम फिल्मों में संगीतकार थे। रहमान ने संगीत की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की। मात्र 11 वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते थे। वे इलैयराजा के बैंड के लिए भी काम करते थे।
चेन्नई के ‘नेमेसिस एवेन्यू’ बैंड की स्थापना का श्रेय रहमान को ही जाता है। वे की-बोर्ड, पियानो, हारमोनियम और गिटार भी बजाना जानते हैं। वे सिंथेसाइजर को कला और टेक्नोलॉजी का अद्भुत संगम मानते हैं। रहमान जब नौ साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी और परिस्थितियाँ इतनी बिगड गई कि पैसों के लिए घरवालों को रहमान के पिता के वाद्य यंत्रों को भी बेचना पडा। इसी बीच उनके परिवार ने इस्लाम धर्म अपनाया। बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही उन्हें लंदन के ‘ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक’ से स्कॉलरशिप भी मिली, जहाँ से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री प्राप्त की।
12 मार्च 1995 को चेन्नई में रहमान का सायरा बानो से विवाह संपन्न हुआ। उनके दो बेटियाँ कत्तिजा, रहीमा और एक बेटा अमीन हैं। रहमान की पत्नी सायरा बानो की सगी बहन के पति, जिनका नाम भी रहमान है, वे एक दक्षिण भारतीय अभिनेता हैं। रहमान के भाँजे जी. वी. प्रकाश कुमार भी एक प्रतिष्ठित संगीतकार हैं । वे रहमान की ज्येष्ठ भगिनि ए. आर. रेहाना के सुपुत्र हैं ।
1991 में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरू किया। 1992 में उन्हें फिल्म निर्देशक मणिरत्नम ने अपनी फिल्म ‘रोजा’ में संगीत देने का प्रस्ताव दिया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म में ही रहमान ने फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। इस पुरस्कार के साथ आरंभ हुआ रहमान की जीत का सिलसिला आज तक जारी है।
रहमान के गानों की 200 करोड से भी अधिक रिकॉर्डिंग बिक चुकी हैं। आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं। उन्होंने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जीन्स, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लमडॉग मिलियनेयर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है। उन्होंने देश की आजादी की 50वीं वर्षगाँठ पर 1997 में ‘वंदे मातरम्’ एलबम बनाया, जो अत्यधिक सफल रहा। भारतबाला के निर्देशन में बनी एलबम ‘जन गण मन’, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुडी कई नामी हस्तियों ने सहयोग दिया उनका एक और महत्वपूर्ण काम था। उन्होंने स्वयं कई विज्ञापनों के जिंगल लिखे और उनका संगीत तैयार किया। उन्होंने जाने-माने कोरियोग्राफर प्रभुदेवा और शोभना के साथ मिलकर तमिल सिनेमा के डांसरों का समूह बनाया, जिसने माइकल जैक्सन के साथ मिलकर स्टेज कार्यक्रम दिए।