आखिर कहां गया कटने के बाद गणेश जी का असली मस्तक
By: Ankur Sat, 10 Aug 2019 09:12:06
भगवान श्री गणेश की पूजा सभी देवताओं में सबसे पहले की जाती हैं। अपने मुख की वजह से गणपति जी को गजमुख, गजानन के नाम से भी जाना जाता हैं। गणपति जी से जुड़ी यह जानकारी तो सभी जानते हैं कि उनका मुख कैसे गज के समान हुआ। लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि कटने के बाद गणेश जी का असली मस्तक कहां गया। आज हम आपको पुराणों में बताई गई उसी जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
श्री गणेश के जन्म के सम्बन्ध में दो पौराणिक मान्यता है। प्रथम मान्यता के अनुसार जब माता पार्वती ने श्रीगणेश को जन्म दिया, तब इन्द्र, चन्द्र सहित सारे देवी-देवता उनके दर्शन की इच्छा से उपस्थित हुए। इसी दौरान शनिदेव भी वहां आए, जो श्रापित थे कि उनकी क्रूर दृष्टि जहां भी पड़ेगी, वहां हानि होगी। इसलिए जैसे ही शनि देव की दृष्टि गणेश पर पड़ी और दृष्टिपात होते ही श्रीगणेश का मस्तक अलग होकर चन्द्रमण्डल में चला गया।
इसी तरह दूसरे प्रसंग के मुताबिक माता पार्वती ने अपने तन के मैल से श्रीगणेश का स्वरूप तैयार किया और स्नान होने तक गणेश को द्वार पर पहरा देकर किसी को भी अंदर प्रवेश से रोकने का आदेश दिया। इसी दौरान वहां आए भगवान शंकर को जब श्रीगणेश ने अंदर जाने से रोका, तो अनजाने में भगवान शंकर ने श्रीगणेश का मस्तक काट दिया, जो चन्द्र लोक में चला गया। बाद में भगवान शंकर ने रुष्ट पार्वती को मनाने के लिए कटे मस्तक के स्थान पर गजमुख या हाथी का मस्तक जोड़ा।
ऐसी मान्यता है कि श्रीगणेश का असल मस्तक चन्द्रमण्डल में है, इसी आस्था से भी धर्म परंपराओं में संकट चतुर्थी तिथि पर चन्द्रदर्शन व अर्घ्य देकर श्रीगणेश की उपासना व भक्ति द्वारा संकटनाश व मंगल कामना की जाती है।