अगर पानी है जीवन में सफलता तो हर व्यक्ति को करना चाहिए इन लोगों का सम्मान
By: Priyanka Maheshwari Thu, 03 May 2018 3:26:50
हिन्दू धर्म में शास्त्रों और ग्रंथो का बड़ा महत्व हैं क्यंकि इनमें कहीं हुई बातें जीवन के व्यवहार को दर्शाती हैं। जिनका अगर व्यक्ति अपने जीवन में अनुसरण करें तो सुखों की प्राप्ति कर सकता हैं। ऐसी ही कुछ बातें है जो महाभारत में बताई गई हैं जिनका पालन करके जीवन में सुखद अनूभूति प्राप्त होती हैं। महाभारत में ऐसे लोगों के बारे में बताया गया हैं जिनका हमेशा सम्मान करना चाहिए, जिससे मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं। तो आइये जानते हैं उन लोगों के बारे में जिनका सम्मान अवश्य करना चाहिए।
* माता-पिता : जो मनुष्य हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान करता है, उनकी आज्ञा का पालन करता है वह जीवन में निश्चित ही हर सफलता पाता है, जैसे भगवान राम। भगवान राम अपने पिता के वचन की रक्षा करने के लिए 14 साल के लिए वनवास चले गए। उसी तरह मनुष्य को अपने माता-पिता की हर इच्छा का सम्मान करना चाहिए। इससे निश्चित ही उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
* बड़ा भाई : बड़ा भाई भी पिता जैसा ही माना जाता है। जिस प्रकार पांडवों ने अपने बड़े भाई युधिष्ठिर की हर आज्ञा का पालन किया। कभी उनकी इच्छा के विरुद्ध नहीं गए। उसी तरह मनुष्य को भी अपने बड़े भाई को पिता के समान ही मान कर उसका सम्मान करना चाहिए। बड़े भाई का आदर-सम्मान करने से मनुष्य को जीवन में हर काम में सफलता जरूर मिलती है।
* गुरु : जिस व्यक्ति से मनुष्य जीवन में कभी भी कोई ज्ञान की बात या कला सीखने को मिल जाए, वह उस मनुष्य के लिए गुरु कहलाता है। एकलव्य ने द्रोणाचार्य को दूर से देखकर ही उनसे धनुष विद्या सीख ली और द्रोणाचार्य को गुरु की तरह सम्मान दिया। द्रोणाचार्य के गुरु दक्षिणा में अंगूठा मांगने पर भी उनमें दोष नहीं देखा और द्रोणाचार्य की मांगी हुई दक्षिणा उन्हें दे दी। उसी प्रकार हमें भी जिससे कुछ भी सीखने को मिल जाए, उसे गुरु की तरह सम्मान करना चाहिए।
* आचार्य : जो मनुष्य को विद्या देता है, वह आचार्य कहलाता है। जो मनुष्य हमेशा अपने आचार्य की आज्ञा का पालन करता है। कभी उसकी दी हुई विद्या पर शंका नहीं करता और उनकी दी गई विद्या को अपनाता है। वह मनुष्य जीवन में आने वाली हर कठिनाई को आसानी से पार कर जाता है। आचार्य का सम्मान करने वाले को धरती पर ही स्वर्ग के समान सुख मिलता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा अपने आचार्य का सम्मान करना ही चाहिए।