कुछ इस तरह हुई थी हनुमान जी की प्रभु श्री राम से प्रथम भेंट, जानें इसके बारे में

By: Ankur Wed, 31 Oct 2018 6:54:01

कुछ इस तरह हुई थी हनुमान जी की प्रभु श्री राम से प्रथम भेंट, जानें इसके बारे में

दिवाली का त्योहार भगवान श्री राम की रावण पर विजय कर अयोध्या लौटने के लिए बनाया जाता हैं। भगवान श्रीराम की रावण पर जीत में हनुमान जी की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। दोनों का एक-दुसरे के प्रति प्रेम जग-जाहिर हैं। दिवाली के इस ख़ास त्योहार पर हम आपको राम हनुमान मिलन की कहानी बताने जा रहे हैं, कि किस तरह दोनों की प्रथम भेंट हुई। इसके बारे में बहुत कम लोग ही जाते हैं। तो आइये जानते है मिलन की इस कहानी के बारे में।

एक बार हनुमान जी ऋष्यमूक पर्वत की एक बहुत ऊंची चोटी पर बैठे हुए थे। उसी समय भगवान श्रीराम चंद्र जी सीता जी की खोज करते हुए लक्ष्मण जी के साथ ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुंचे। ऊंची चोटी पर से वानरों के राजा सुग्रीव ने उन लोगों को देखा। उसने सोचा कि ये बाली के भेजे हुए दो योद्धा हैं, जो मुझे मारने के लिए हाथ में धनुष-बाण लिए चले आ रहे हैं।

दूर से देखने पर ये दोनों बहुत बलवान जान पड़ते हैं। डर से घबरा कर उसने हनुमान जी से कहा, ‘‘हनुमान! वह देखो, दो बहुत ही बलवान मनुष्य हाथ में धनुष-बाण लिए इधर ही बढ़े चले आ रहे हैं। लगता है, इन्हें बाली ने मुझे मारने के लिए भेजा है। ये मुझे ही चारों ओर खोज रहे हैं। तुम तुरंत तपस्वी ब्राह्मण का रूप बना लो और इन दोनों योद्धाओं के पास जाओ तथा यह पता लगाओ कि ये कौन हैं और यहां किसलिए घूम रहे हैं। अगर कोई भय की बात जान पड़े तो मुझे वहीं से संकेत कर देना। मैं तुरंत इस पर्वत को छोड़कर कहीं और भाग जाऊंगा।’’

diwali special,astrology tips,diwali festivals,hanuman ji,shri ram,hanuman meets shri ram ,दिवाली स्पेशल, दिवाली का त्यौहार, हनुमान जी, श्री राम, राम हनुमान मिलन

सुग्रीव को अत्यंत डरा हुआ और घबराया देखकर हनुमान जी तुरंत तपस्वी ब्राह्मण का रूप बनाकर भगवान श्रीरामचंद्र और लक्ष्मण जी के पास जा पहुंचे। उन्होंने दोनों भाइयों को माथा झुकाकर प्रणाम करते हुए कहा, ‘‘प्रभो! आप लोग कौन हैं? कहां से आए हैं? यहां की धरती बड़ी ही कठोर है। आप लोगों के पैर बहुत ही कोमल हैं। किस कारण से आप यहां घूम रहे हैं? आप लोगों की सुंदरता देखकर तो ऐसा लगता है-जैसे आप ब्रह्मा, विष्णु, महेश में से कोई हों या नर और नारायण नाम के प्रसिद्ध ऋषि हों। आप अपना परिचय देकर हमारा उपकार कीजिए।’’

हनुमान जी की मन को अच्छी लगने वाली बातें सुनकर भगवान श्री रामचंद्र जी ने अपना और लक्ष्मण का परिचय देते हुए कहा कि, ‘‘राक्षसों ने सीता जी का हरण कर लिया है। हम उन्हें खोजते हुए चारों ओर घूम रहे हैं। हे ब्राह्मण देव! मेरा नाम राम तथा मेरे भाई का नाम लक्ष्मण है। हम अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र हैं। अब आप अपना परिचय दीजिए।’’

भगवान श्रीरामचंद्र जी की बातें सुनकर हनुमान जी ने जान लिया कि ये स्वयं भगवान ही हैं। बस वह तुरंत ही उनके चरणों पर गिर पड़े। श्री राम ने उठाकर उन्हें गले से लगा लिया। हनुमान जी ने कहा, ‘‘प्रभो! आप तो सारे संसार के स्वामी हैं। मुझसे मेरा परिचय क्या पूछते हैं? आपके चरणों की सेवा करने के लिए ही मेरा जन्म हुआ है। अब मुझे अपने परम पवित्र चरणों में जगह दीजिए।’’

भगवान श्री राम ने प्रसन्न होकर उनके मस्तक पर अपना हाथ रख दिया। हनुमान जी ने उत्साह और प्रसन्नता से भरकर दोनों भाइयों को उठाकर कंधे पर बैठा लिया। सुग्रीव ने उनसे कहा था कि भय की कोई बात होगी तो मुझे वहीं-से संकेत करना। हनुमान जी ने राम लक्ष्मण को कंधे पर बिठाया-यही सुग्रीव के लिए संकेत था कि इनसे कोई भय नहीं है। उन्हें कंधे पर बिठाए हुए ही वह सुग्रीव के पास आए और उनसे सुग्रीव का परिचय कराया। भगवान श्री राम ने सुग्रीव के दुख और कष्ट की सारी बातें जानीं। उसे अपना मित्र बनाया और दुष्ट बाली को मार कर उसे किष्किंधा का राजा बना दिया। इस प्रकार हनुमान जी की सहायता से सुग्रीव का सारा दुख दूर हो गया।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com