शिव पुराण में बताए गए हैं 'जप करने के सही नियम'
By: Ankur Mundra Sat, 14 Mar 2020 07:58:30
इंसान और भगवान के बीच गहरा नाता होता हैं जिसका जोड़ता हैं जप। जी हां, जप भगवान और मनुष्य के बीच सेतु का काम करते हैं। भगवान् की भक्ति मन को शान्ति दिलाने के साथ ही आपको सौभाग्य भी प्राप्त करवाता हैं। जप से जुड़े कुछ नियम होते हैं जिनका पालन आपको भगवान का आशीर्वाद दिलाता है। शिव पुराण में जप करने से जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
श्रद्धा भाव
जहां प्रेम नहीं वहां कोई रिश्ता जीवित नहीं रहता, इसी प्रकार से भक्त की श्रद्धा ही भगवान के लिए प्रेम है। यदि श्रद्धा की कमी हो तो भगवान भी प्रसन्न नहीं होते। इसलिए पूरे मन से और प्रेमपूर्वक अपनी भक्ति को न्यौछावर करने वाले भक्त की मनोकामना को भगवान पूर्ण करते हैं।
जप के बाद दक्षिणा
शास्त्रीय मान्यताओं में पूजा के विधान और इसके बाद दक्षिणा को काफी अहम माना गया है। इसलिए लोग पूजा-पाठ के बाद दक्षिणा जरूर देते हैं। शिवपुराण में कहा गया है कि यदि कोई मनुष्य पूरे विधि-विधान के साथ भगवान का जप करे और इसके बाद किसी गरीब या ब्राह्मण को दक्षिणा या दान न करे तो उसका जप व्यर्थ हो जाता है।
सही स्थान का चयन है जरूरी
शिव पुराण के अनुसार भक्त को पूजा-अर्चना या जप करने से पहले किसी योग्य पंडित या ऋषियों से इसकी आज्ञा, महत्व और विधि-विधान की जानकारी लेनी चाहिए। सही विधि-विधान जाने बिना किया गया जप भक्तों को किसी भी तरह का फल नहीं देता। अतः जप करने से पहले ब्राह्मणों से उसके बारे में पूरी जानकारी और आज्ञा लेना जरूरी माना जाता है।