आखिर क्यों नहीं किया जाता हैं शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण, जानें इसके पीछे का कारण
By: Ankur Tue, 11 June 2019 11:13:24
भगवान शिव को भोलेभंडारी के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। इसके लिए भक्तगण कई धातुओं से बने शिवलिंग की पूजा करते हैं। जी हाँ, शिवलिंग कई धातुओं के बने होते हैं और सभी का अपना विशेष महत्व होता हैं। क्या आप जानते हैं कि कई शिवलिंग ऐसे हैं जिन पर चढ़ाया गया प्रसाद नहीं ग्रहण किया जाता हैं। जी हाँ, शिवलिंग की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करने से जुड़े कई नियम हैं जिनका पालन बहुत जरूरी हैं। तो आइये जानते हैं इससे जुड़ी जानकारी के बारे में।
इसलिए डरते हैं प्रसाद ग्रहण करने से
चंडेश्वर को शिव के प्रसाद का अंश माना जाता है। चंडेश्वर भूत-पिशाच के देवता माने जाते हैं और मान्यता है कि यदि शिव पर चढ़ा प्रसाद खा लिया जाए तो इससे चंडेश्वर नाराज हो जाते हैं। चंडेश्वर के कोपभाजन से बचने के लिए लोग प्रसाद ग्रहण करने से बचते हैं, लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि चंडेश्वर शिव के प्रसाद के अंश जरूर हैं लेकिन सभी प्रसाद के नहीं। कुछ प्रसाद पर उनका अंश नहीं होता।
इस प्रसाद को नहीं करना चाहिए ग्रहण
शिव महापुराण के अनुसार शिव का प्रसाद चंडेश्वर का अंश तभी होता है जब वह मिट्टी, चीनी मिट्टी या साधारण पत्थर से बने शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। ऐसा प्रसाद इंसान को ग्रहण नहीं करना चाहिए। बल्कि इस पर चढ़े प्रसाद को या तो बहती नदी में प्रवाहित करना चाहिए या किसी साधु-संयासी को देना चाहिए।
ये प्रसाद ग्रहण करना होगा फलदायी
पारद से बने शिवलिंग या शालिगराम के साथ रखे गए शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को आप खा सकते हैं। ये चंडेश्वर का अंश नहीं होता। साथ ही शिव जी की प्रतिमा पर चढ़े प्रसाद भी खा सकते हैं। इसलिए जब भी आप शिव जी का प्रसाद ग्रहण करें इस बात की तस्दीक जरूर कर लें कि प्रसाद शिव जी के किस स्वरूप का है।