रमज़ान 2018: रमज़ान से जुड़े वो मिथक या झूठ जिन्हें हम सच मानते हैं

By: Priyanka Maheshwari Fri, 01 June 2018 4:03:18

रमज़ान 2018: रमज़ान से जुड़े वो मिथक या झूठ जिन्हें हम सच मानते हैं

रमज़ान का पाक महीना चल रहा है। अल्लाह की इबादत या ईश्वर की उपासना वैसे तो किसी भी समय की जा सकती है। उसके लिये किसी विशेष दिन की जरुरत नहीं होती लेकिन सभी धर्मों में अपने आराध्य की पूजा उपासना, व्रत उपवास के लिये कुछ विशेष त्यौहार मनाये जाते हैं। ताकि रोजमर्रा के कामों को करते हुए, घर-गृहस्थी में लीन रहते हुए बंदे को याद रहे कि यह जिंदगी उस खुदा की नेमत है, जिसे तू रोजी-रोटी के चक्कर में भुला बैठा है, चल कुछ समय उसकी इबादत के लिये निकाल ले ताकि खुदा का रहम ओ करम तुझ पर बना रहे और आखिर समय तुझे खुदा के फरिश्ते लेने आयें और खुदा तुम्हें जन्नत बख्शें। लेकिन खुदा के करीब होने का रास्ता इतना भी आसान नहीं है खुदा भी बंदों की परीक्षा लेता है। जो उसकी कसौटी पर खरा उतरता है उसे ही खुदा की नेमत नसीब होती है। इसलिये ईस्लाम में खुदा की इबादत के लिये रमज़ान के पाक महीने को महत्व दिया जाता है। ज्यादातर मुसलमान रोज़े रख रहे हैं। इस महीने में रोज़े लगातार 30 दिनों तक चलते हैं। जो इस बार 17 मई से शुरू होकर 15 जून तक चलने वाले हैं।

गरीबों में फितरा बांटा जाता है

- रोज़े के बाद जो ईद होती है उसे ईद-उल-फितर कहते हैं।
- इसे मीठी ईद भी कहा जाता है।
- ईद के दिन नमाज से पहले गरीबों में फितरा बांटा जाता है।
- यही वजह है कि इस ईद को ईद-उल-फित्र या ईद-उल-फितर कहा जाता है। फितरा एक तरह का दान होता है जिसे रोज़ेगारों को रोज़ा पूरा होने पर दिया जाता है।
- वहीं, इस बार माह-ए-रमज़ान (Ramadan) में 5 जुमे पड़ रहे हैं।
- पहला जुमा रमज़ान शुरू होने के अगले दिन 18 मई को था, वहीं, 15 जून को आखिरी जुमा होगा, जिसे अलविदा जुमा कहा जाता है। आखिरी जुमे के अगले दिन ही ईद मनाई जाएगी।

आज यहां आपको रमज़ान से जुड़े मिथक और सच के बारे में बताया जा रहा है। जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं।

# मिथक - रमज़ान के महीने में आप ब्रश नहीं कर सकते।

# सच - यह बात सरासर गलत है कि रमज़ान के महीने में दांतों को साफ या कुल्ला नहीं कर सकते हैं। क्योंकि रोज़ेगारों और नमाज अदा करने वालों के लिए इस्लाम में 'सिवाक' नाम का नियम बनाया गया है जिसमें दांतों को साफ करना ज़रूरी माना गया है। अगर ऐसा ना किया जाए तो नमाज पूरी नहीं मानी जाती है।

# मिथक - हर किसी को रमज़ान में रोज़े रखना जरूरी।

# सच - इस्लाम में ऐसा कहीं नही लिखा हुआ है कि रमज़ान के महीने में हर मुसलमान को रोज़े रखने ही हैं। जी हां, इस दौरान बीमार लोग, प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्ग और लंबा सफर कर रहे लोगों के लिए रोज़ा रखना अनिवार्य नहीं है। वो अपनी सेहत के अनुसार रोज़े रख सकते हैं।

# मिथक - रमज़ान के दौरान रोज़ेदार अपना थूक अंदर नहीं ले सकते।
# सच - गैर-मुस्लिम लोगों में सबसे बड़ा मिथक यही है कि रोज़े रख रहे लोग अपना थूक अंदर नहीं ले सकते। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रोज़े के दौरान पानी तक नहीं पिया जाता और इसी वजह से थूक भी अंदर नहीं लिया जाता है, जो कि पूरी तरह से झूठ है।

# मिथक - रोज़ेदारों के सामने खाना नहीं खाना चाहिए।
# सच - क्योंकि रोज़े के दौरान कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता, इसी वजह से लोग ऐसा मानते हैं कि रोजेदारों के सामने कुछ नहीं खाना चाहिए। लेकिन यह सिर्फ मिथक है, जबकि सच यह है कि इस्लाम धर्म के मुताबिक रमज़ान के महीने को नेकियों, आत्मनियंत्रण और खुद पर संयम रखने का महीना माना जाता है। मुसलमानों का रमज़ान के दौरान खुद पर इतना नियंत्रण होता है कि उनके सामने खाना खाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। इसी वजह से यह बात पूरी तरह से झूठ है कि रोज़ेदारों के सामने खाना नहीं खाना चाहिए।

# मिथक - रमज़ान में रोज़े के दौरान गलती से कुछ खाने पर रोज़े टूट जाते हैं।

# सच - हर धर्म में व्रत या रोज़े को भगवान को याद करने और खुद पर संयम के लिए रखा जाता है। अगर काम के दौरान या फिर भूल से कुछ खा लिया हो तो व्रत या रोज़े नहीं टूटते। हां, अगर जानकर रमज़ान में रोज़े के दौरान कुछ खा लिया जाए तब रोज़े जरूर टूट जाएंगे।

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