आखिर क्यों मनाई जाती हैं मकर संक्रांति, पुराणों में छिपा है इसका राज

By: Ankur Sat, 11 Jan 2020 06:29:45

आखिर क्यों मनाई जाती हैं मकर संक्रांति, पुराणों में छिपा है इसका राज

पौष का महीना चल रहा हैं और जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता हैं उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती हैं। इस बार यह 15 जनवरी को मनाई जानी हैं। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्‍तरायण गति प्रारंभ हो जाती है इसलिए मकर संक्रांति को उत्‍तरायण भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में इस पर्व को लेकर कई मान्यताएं हैं जो इसे विशेष बनाती हैं। आज हम आपको इससे जुड़ी पौराणिक जानकारी देने जा रहे हैं जो आप शायद ही जानते होंगे। तो आइये जानते है इसके बारे में।

हिन्‍दू धर्म की मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्‍णु ने असुरों का अंत कर उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। इसलिए इस मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्‍मकता को समाप्‍त करने का दिन भी मानते हैं।

astrology tips,astrology tips in hindi,makar sankranti 2020,makar sankranti mythology,uttarayan ,ज्योतिष टिप्स, ज्योतिष टिप्स हिंदी में, मकर संक्रांति 2020, मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व, उत्तरायण

इसके अलावा यह माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्‍वयं उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्‍वामी है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पवित्र गंगा नदी का भी इसी दिन धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं।

महाभारत में पितामाह भीष्‍म ने सूर्य के उत्‍तरायण होने पर ही स्‍वेच्‍छा से शरीर का परित्‍याग किया था। इसका कारण यह था कि उत्‍तरायण में देह छोड़ने वाली आत्‍माएं या तो कुछ काल के लिए देवलोक में चली जाती है या पुनर्जन्‍म के चक्र से उन आत्‍माओं को छुटकारा मिल जाता है। जबकि दक्षिणायण में देह छोड़ने पर आत्‍मा को बहुत काल तक अंधकार का सामना करना पड़ सकता है।

स्‍वयं भगवान श्री कृष्‍ण ने भी उत्‍तरायण का महत्‍व बताते हुए कहा है कि उत्‍तरायण के 6 मास के शुभ काल में जब सूर्य देव उत्‍तरायण होते हैं और पृथ्‍वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्‍याग करने से व्‍यक्ति का पुनर्जन्‍म नहीं होता है और ऐसे लोग सीधे ही ब्रह्म को प्राप्‍त होते हैं। इसके विपरीत जब सूर्य दक्षिणायण होता है और पृथ्‍वी अंधकार मय होती है तो इस अंधकार में शरीर त्‍याग करने पर पुन: जन्‍म लेना पड़ता है।

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2025 lifeberrys.com