आज की जाती है भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा, जानें व्रत कथा और विधि
By: Ankur Mon, 09 Sept 2019 10:22:54
आज भाद्रपद महीने के शुल्क पक्ष की एकादशी हैं जिसे 'परिवर्तिनी एकादशी' के रूप में मनाया जाता हैं। आज के दिन भगवान विष्णु के पांचवे अवतार अर्थात वामन अवतार की पूजा की जाती हैं और दान-पुण्य कर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता हैं। इसी दिन राजा बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा कर उनको प्रसन्न किया था, जिसके फलस्वरूप भगवान विष्णु द्वारा राजा की सभी मनोकामनाओं की पूर्ती हुई थी। इसी के साथ ही ऐसा भी माना जाता हैं कि आज के दिन भगवान विष्णु अपनी करवट बदलते हैं जिस वजह से इसे परिवर्तिनी एकादशी के रूप में जाना जाता हैं। आज हम आपको इस व्रत की कथा और विधि से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
वामन एकादशी व्रत कथा
पुराणों के अनुसार त्रेतायुग में बलि नामक एक दानव हुआ करता था। वह बहुत ही दानी, दयालु एवं सत्यवादी था। वह कठिन तप और यज्ञ करके बहुत शक्तिशाली हो गया और इंद्र की गद्दी छीनने लगा। तब देवताओं ने भगवान विष्णु से गुहार लगायी। भगवान विष्णु वामन रुप धारण करके बलि के पास पहुंचे और उन्होंने बलि से तीन पग भूमि मांगी। दानी बलि ने पहले पग में भूमि और दूसरे पग में नभ ले लिया। तीसरे पग में जब कुछ नहीं बचा तब उन्होंने अपना पैर बलि के सिर पर रख दिया। इस तरह बलि पर भगवान विष्णु का अधिकार हो गया और वे उसे पाताल लोक ले गए। वहां बलि ने भगवान विष्णु से पाताल लोक का पहरेदार बनाने की विनती की। भाद्रमास के शुक्लपक्ष की एकादशी को भगवान ने बलि की मनोकामना पूर्ण की। तभी से वामन एकादशी या परिवर्तिनी एकादशी मनायी जाती है।
वामन एकादशी पूजन विधि
- परिवर्तिनी एकादशी के दिन अन्न का सेवन न करें और फलाहार खाएं।
- इस दिन अपने घर में पूजा स्थल की सफाई करें और स्नान करके नए वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- अगरबत्ती, पीले फूल,धूप, घी का दीपक, एवं फल चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु को भोग लगाते हुए श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें एवं ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- भोग लगाने के बाद लोगों में उसे प्रसाद स्वरुप वितरित करें।