विश्व की सबसे बड़ी रसोई में तैयार होता है भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद, 500 रसोइये और 752 चूल्हे में बनता है 56 तरह का भोग

By: Pinki Wed, 11 July 2018 2:41:22

विश्व की सबसे बड़ी रसोई में तैयार होता है भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद, 500 रसोइये और 752 चूल्हे में बनता है 56 तरह का भोग

उड़ीसा स्थित जगन्नाथपुरी सबसे प्रसिद्ध और पवित्र धार्मिक स्थलों मे से एक है। भगवान जगन्नाथ जी की यात्रा निकलने की परम्परा वर्षो से चली आ रही है जो की आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष में निकलती है। इस बार यह यात्रा 14 जुलाई 2018 से शुरू होने वाली है। रथयात्रा का आयोजन 10 दिन तक चलेगा। इस रथयात्रा उत्सव में भगवान जगन्नाथ को रथ पर विराजमान करके सारे नगर में भ्रमण कराया जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस उत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते हैं। जगन्नाथपुरी से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित है। जब से जगन्नाथ जी रथयात्रा आरंभ हुई है तब से ही राजाओं के वंशज पारंपरिक ढंग से सोने के हत्थे वाली झाडू से भगवान जगन्नाथ जी के रथ के सामने झाडु लगाते हैं। जिसके बाद मंत्रोच्चार एवं जयघोष के साथ रथयात्रा शुरू की जाती है,पर अब पुरे भारत में कोई राजा नही होने की वजह से उनके स्थान पर पूरी में सामान्य तौर एक राजा बनाया जाता है जो की सोने की झाड़ू से मंदिर की सफाई करता है.इसके बाद ही भगवान को मन्दिर निकाला जाता है।

जिसके अनुसार यहां विश्व की सबसे बड़ी रसोई है, जिसमें भगवान जगन्नाथ के लिए भोग तैयार किया जाता है। दुनिया भर में जगन्नाथ मंदिर की रसोई के चर्चे हैं। इस विशाल रसोई में भगवान जगन्नाथ के लिए भोग तैयार किया जाता है। जिसे बनाने के लिए लगभग 500 रसोइए तथा उनके 300 सहयोगी काम करते हैं। बताया जाता है कि रसोई में जो भी भोग तैयार किया जाता है वह सब मां लक्ष्मी की देखरेख में होता है। हर दिन सभी रसोइये मिलकर 56 तरह के भोग बनाते हैं।

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रसोई में बनने वाला हर पकवान को जैसा हिंदू धर्म पुस्तकों में बताया गया है वैसे ही बनाया जाता है। प्रसाद में किसी तरह के कोई बदलाव नहीं किये जाते। यह पूरी तरह से शाकाहारी होता है। भोग में किसी भी तरह से प्याज व लहसुन का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता। भगवान जगन्नाथ के लिए बनाए गये भोग को मिट्टी के बर्तनों में तैयार किया जाता है। रसोई के पास में दो कुएं हैं, जिन्हें गंगा और यमुना कहा जाता है। भोग बनाने के लिए सिर्फ इन्हीं से निकले पानी का इस्तेमाल किया जाता है। भोग पकाने के लिए 7 मिट्टी के बर्तन एक दूसरे पर रखे जाते हैं और सारा का सारा प्रसाद लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले सबसे ऊपर रखे बर्तन की भोग सामग्री पकती है उसके बाद नीचे की तरफ एक के बाद एक भोग तैयार होता जाता है।

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आपको बता दें, यह महाप्रसाद आनंद बाजार में मिलता है, जो विश्वनाथ मंदिर के पांच सीढ़ियां चढ़ने पर आता है। रोजाना रसोइये करीब 20 हजार लोगों के लिए यह महाप्रसाद तैयार करते हैं। वहीं, त्योहारों के समय में यह महाप्रसाद 50 हजार लोगों के लिए तैयार किया जाता है। आप चाहे तो महाप्रसाद को खाने का लुत्फ ऑनलाइन बुकिंग कर भी उठा सकते हैं।

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