इन दिनों बीमार चल रहे हैं भगवान जगन्नाथ, मौसमी फल और परवल के जूस का लग रहा है भोग

By: Pinki Wed, 11 July 2018 2:06:54

इन दिनों बीमार चल रहे हैं भगवान जगन्नाथ, मौसमी फल और परवल के जूस का लग रहा है भोग

भगवान जगन्नाथ जी की यात्रा निकलने की परम्परा वर्षो से चली आ रही है जो की आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष में निकलती है। इस बार यह यात्रा 14 जुलाई 2018 से शुरू होने वाली है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ जी को रथ में बिठाकर पुरे नगर का भ्रमण कराया जाता है। वही इन दिनों भगवान जगन्नाथ पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे हैं जिसके चलते वह इन दिनों आराम फरमा रहे हैं। जी हां ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को स्नान कराने की परंपरा है, जिसके बाद से वह बीमार हैं और उनके भक्त उनकी सेवा कर रहे हैं। आराम के लिए 15 दिन तक मंदिर पट को भी बंद कर दिया गया है जिससे कि वह जल्दी ठीक हो जाएं। इस वक्त उन्हें चटपटी चीजों के बजाय मौसमी फल और परवल का जूस दिया जा रहा है। आप सोच रहे होंगे कि भला भगवान कैसे बीमार हो सकते हैं?

पुराणों में इस बात का जिक्र है कि राजा इंद्रदुयम्न अपने राज्य में भगवान की प्रतिमा बनवा रहे थे, जिसे शिल्पकार बीच में ही अधूरा छोड़कर चले गये थे। यह देखकर राजा परेशान होकर चिल्लाने लगे और तभी उन्हें भगवान ने दर्शन देकर कहा, 'विलाप न करो मैंने नारद को वचन दिया था कि बालरूप में इसी आकार में पृथ्वीलोक पर विराजूंगा।’ भगवान ने राजा इंद्रदुयम्न को 108 घट के जल से उनका अभिषेक करने का आदेश दिया। उस वक्त ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा थी। बस तभी से यह मान्यता चली आ रही है कि किसी बच्चे को अगर ठंडे पानी से स्नान कराया जाएगा तो उसका बीमार पड़ना स्वाभाविक है। इसलिए ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक बीमार बच्चे के रूप में भक्त भगवान की सेवा करते हैं। इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक काढ़े का भोग लगाया जाता है।

lord jagannath,lord jagannath sick ,भगवान जगन्नाथ

भगवान के बीमार होने की वजह से 15 दिनों तक मंदिर में कोई घंटे आदि नहीं बजते। इस दौरान अन्न का भी कोई भोग नहीं लगाया जाता। प्रसाद के रूप में आयुर्वेदिक काढ़ा अर्पित किया जाता है। यहां तक की मंदिर में भगवान की बीमारी की जांच करने के लिए हर दिन वैद्य भी आते हैं। काढ़े के अलावा भगवान को फलों का रस भी दिया जाता है। बता दें, इस साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा 27 जून को थी। तभी से भगवान बीमार है और उनका इलाज चल रहा है। 14 जुलाई को भगवान स्वस्थ्य हो जाएंगे और मंदिरों के पट खुल जाएंगे। इसके साथ ही भगवान के नव जोबन रुप के भी दर्शन होंगे। उन्हें विशेष भोग लगाया जाएगा। 14 जुलाई को भगवान अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ भक्तों को दर्शन देने के लिए मंदिर से निकलेंगे। यानी उस दिन जगन्नाथ यात्रा निकलेगी। जहां वे अपनी मौसी के घर जाएंगे और नौ दिन तक वहीं रहेंगे और उसके बाद वापस अपने मंदिर में लौट आएंगे।

lord jagannath,lord jagannath sick ,भगवान जगन्नाथ

यात्रा का महत्व

स्कन्द पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथ-यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है वह पुनर्जन्म से मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी का दर्शन करते हुए, प्रणाम करते हुए मार्ग के धूल-कीचड़ आदि में लोट-लोट कर जाते हैं वे सीधे भगवान श्री विष्णु के उत्तम धाम को जाते हैं। जो व्यक्ति गुंडिचा मंडप में रथ पर विराजमान श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा देवी के दर्शन दक्षिण दिशा को आते हुए करते हैं वे मोक्ष को प्राप्त होते हैं। रथयात्रा एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान जगन्नाथ चलकर जनता 7 बीच आते हैं और उनके सुख दुख में सहभागी होते हैं। सब मनिसा मोर परजा (सब मनुष्य मेरी प्रजा है), ये उनके उद्गार है। भगवान जगन्नाथ तो पुरुषोत्तम हैं। उनमें श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध, महायान का शून्य और अद्वैत का ब्रह्म समाहित है। उनके अनेक नाम है, वे पतित पावन हैं।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com