जानिए रमज़ान में रखे जाने वाले रोजे से जुड़े 5 खास नियम
By: Priyanka Maheshwari Tue, 22 May 2018 11:38:19
रमज़ान का पाक महीना चल रहा है। रमज़ान या रमदान एक ऐसा विशेष महीना है जिसमें ईस्लाम में आस्था रखने वाले लोग नियमित रूप से नमाज़ अदा करने के साथ-साथ रोज़े यानि कठोर उपवास (इसमें बारह घंटे तक पानी की एक बूंद तक नहीं लेनी होती) रखे जाते हैं। हालांकि अन्य धर्मों में भी उपवास रखे जाते हैं लेकिन ईस्लाम में रमज़ान के महीने में यह उपवास लगातार तीस दिनों तक चलते हैं। महीने के अंत में चांद के दिदार के साथ ही पारण यानि कि उपवास को खोला जाता है।
रमज़ान के महीने के एक दिन शब-ए-कद्र मनाई जाती है, जो कि इस बार 11 जून को है। इस दिन सभी मुस्लिम रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं। रोज़े की शुरुआत सुबह सूरज के निकलने से पहले के भोजन से होती है जिसे 'सुहूर' कहा जाता है और सूरज डूबने के बाद के भोजन को 'इफ्तार' कहा जाता है। माह-ए-रमज़ान में रखे जाने वाले रोजे के दौरान बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जिसका खास ध्यान रखना होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन कुरान पूरी हुई थी।
रमज़ान के महीने में कुछ सावधानी बरतनी पड़ती है
- इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रोजे में महज एक डकार आने से रोजा टूट जाता है।
- माना जाता है कि रमज़ान के पाक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इसलिए इस माह में किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। साथ ही अल्लाह तआला अपने बंदों के अच्छे कामों पर नजर रखता है,उनसे खुश होता है।
- रमज़ान के पाक माह में दोजख यानी नर्क के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। रमज़ान के पाक महीने में अल्लाह से अपने सभी बुरे कर्मों के लिए माफी भी मांगी जाती है। महीने भर तौबा के साथ इबादतें की जाती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से इंसान के सारे गुनाह धुल जाते हैं।
- माह-ए-रमज़ान में नफिल नमाजों का शबाब फर्ज के बराबर माना जाता है। पाक रमजान माह में फर्ज नमाजों का शबाब 70 गुणा बढ़ जाता है।
- इस पवित्र माह में रोजादार को झूठ बोलना, चुगली करना, गाली-गलौज करना, औरत को बुरी नजर से देखना, खाने को लालच भरी नजरों नहीं देखना चाहिए।