भगवान जगन्नाथ के इस रहस्य को लेकर सभी अनजान, आज निकलेगी यात्रा
By: Ankur Mundra Tue, 23 June 2020 09:21:30
आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलनी हैं जो कि पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक दी गई थी। लेकिन अब कुछ शर्तों के साथ इसका आयोजन किया जा रहा हैं। 284 साल से यह यात्रा लगातार की जा रही हैं और अगर यह आज नहीं होती तो भगवान जगन्नाथ को 12 साल तक मौसी के घर जाने के लिए इंतजार करना पड़ता। इस रथ यात्रा में भगवान कृष्ण, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा को रथों में बैठाकर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता हैं। रथयात्रा का महोत्सव 10 दिन तक चलता है, जो शुक्ल पक्ष के 11वें दिन खत्म होता है। इस महाआयोजन के दौरान भगवान कृष्ण, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा को रथों में बैठाकर गुंडीचा मंदिर ले जाता जाता है।
मूर्ति के अंदर है यह रहस्य
भगवान जगन्नाथ का 12 साल बाद नवकलेवर करना पड़ता है। नवकलेवर उत्सव में नीम की लकड़ी से बना इनका आवरण बदला जाता है। यह आज भी रहस्य बना हुआ है कि इस आवरण के अंदर भगवान किस रूप में रहते हैं। कहा जाता है जब यह आवरण बदला जाता है तब पुजारी आंखों पर पट्टी बांध लेते हैं, जिससे उनको कुछ दिखे ना। वहीं हाथों पर वस्त्र लपेट लेते हैं। कहते हैं जो आवरण को बदलते देख लेता है, उसकी मृत्यु हो जाती है इसलिए मूर्ति के अंदर क्या है कोई नहीं देख पाता। हालांकि जब आवरण बदला जाता है तब पुजारी बताते हैं कि भगवान के दिल धड़कने की आवाज सुनाई देती है।
रथयात्रा को लेकर हैं कई कहानियां
कुछ लोग मानते हैं कि सुभद्रा अपने मायके आई हुईं थी तब उन्होंने भगवान कृष्ण और बलराम से नगर भ्रमण करने की इच्छा जताई थी, तब वह तीनों रथ में सवार नगर में घूमने गए थे। कुछ लोग ये भी मानते हैं कि भगवान कृष्ण, सुभद्रा और बलराम को उनकी मौसी ने घर आने का निमंत्रण दिया था इसलिए रथ में सवार तीनों 10 दिन के लिए वहां रहने जाते हैं।
रथयात्रा से जुड़ी है यह भी कहानी
रथयात्रा से जुड़ी एक कहानी यह भी है कि जब भगवान कृष्ण के मामा कंस ने उनको मथुरा बुलाया था तब वह अपने भाई और बहन के साथ मथुरा गए थे इसलिए रथयात्रा के शुरुआत हुई थी। अंतिम कथा यह भी है कि कंस को मारने के बाद भगवान कृष्ण अपने भाई और बहन के साथ रथ में सवार होकर मथुरा की यात्रा की थी इसलिए रथयात्रा का आयोजन किया जाता है।