Sharad Purnima 2019: भगवान कृष्ण ने गोपियों संग किया था महारास, जानें व्रत विधि
By: Ankur Thu, 10 Oct 2019 1:24:22
कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्द आश्विन मास की पूर्णिमा का दिन ज्योतिष में बड़ा महत्व रखता हैं। इसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं। इस रात भगवान कृष्ण ने अपनी गोपियों के साथ महा रास किया था। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात बेहद खास होती है। इस साल शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर को मनाई जानी हैं। इस दिन सभी भक्तगण भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए खीर बनाते है और इष्ट देव की पूजा करते हैं। आपको व्रत का पूरा लाभ मिल सकें इसके लिए आज हम शरद पूर्णिमा की व्रत विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
व्रत विधि
- इस दिन प्रात: काल स्नान करके आराध्य देव को सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करके आवाहन, आसान, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से उनका पूजन करना चाहिए।
- रात्रि के समय गौदुग्ध (गाय के दूध) से बनी खीर में घी तथा चीनी मिलाकर अर्द्धरात्रि के समय भगवान को अर्पण (भोग लगाना) करना चाहिए।
- पूर्ण चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर उनका पूजन करें तथा खीर का नैवेद्य अर्पण करके, रात को खीर से भरा बर्तन खुली चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करें तथा सबको उसका प्रसाद दें।
- पूर्णिमा का व्रत करके कथा सुनानी चाहिए। कथा सुनने से पहले एक लोटे में जल तथा गिलास में गेहूं, पत्ते के दोनों में रोली तथा चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाए। फिर तिलक करने के बाद गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कथा सुनें। फिर गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्राणी के पांव स्पर्श करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें। लोटे के जल का रात को चंद्रमा को अर्ध्य दें।