आइए जानें : किस युग में कितनी बार जन्म लेती है आत्मा

By: Hema Mon, 26 Mar 2018 3:48:36

आइए जानें : किस युग में कितनी बार जन्म लेती है आत्मा

कहा जाता है हर युग में धरती पर जब-जब पाप बढ़ता है, सृष्टि का रचनाकार स्वयं धरती पर जन्म लेता है और उसे ‘पाप मुक्त’ करता है। सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग, कलयुग हर युग में कोई न कोई भगवान जन्म जरूर लेते हैं ऐसा सभी लोगों का मानना है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसान किस युग में कितने जन्म लेता है।

आज हम अपने सुधि पाठकों को कुछ ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं जो इन चारों युगों— सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग, कलयुग—से सम्बन्धित है। इस बात की पूरी संभावना है कि इन बातों को आपने कभी-न-कभी कहीं-न-कहीं जरूर पढ़ा या सुना होगा। अगर नहीं पढ़ा या सुना तो आप इसके बारे में जरूर जानें—

सतयुग

सतयुग के लिए माना जाता है कि इस युग में भगवान राम ने रावण का वध करने के लिए जन्म लिया था, क्योंकि जब-जब इस धरती पर पाप बढ़ा है तब -तब भगवान ने इस धरती को अपना विराट रूप दिखाया है। सतयुग में धरती पर आत्माओं का वास हुआ करता था जिसे वल्र्ड ऑफ़ सोल भी कहा जाता है। जैसे हर शरीर का अंत होता है ठीक वैसे ही एक समय का अंत भी आता ही है। कहा जाता है कि सतयुग की आयु 17,28,000 वर्ष थी, जिसमें एक सामान्य व्यक्ति 1 लाख साल तक जी सकता था। इस युग में उसका कद 32 फुट लम्बा हुआ करता था। कहा तो यहाँ तक जाता है कि इस युग में इंसान अपनी इच्छा अनुसार मर सकता था।

त्रेतायुग

चारों युग में हनुमान जी एक मात्र ऐसे भगवान हैं जो अमर हैं, त्रेतायुग में भी हनुमान जी ने भीम को चारों युग के बारे बताया था, किस युग में क्या होगा ये भी बताया था। जानकारी के लिए बता दें त्रेतायुग 4,32,000 वर्षों का था, जिसमें एक सामान्य इंसान 10,000 साल तक जी सकता था। इस युग में भीम ने हनुमान जी को चारों युग के ज्ञानी के नाम से सम्बोधित किया था।

जब द्वापर युग में गंधमादन पर्वत पर महाबली भीम सेन हनुमान जी से मिले तो हनुमान जी से कहा—हे पवन कुमार आप तो युगों से पृथ्वी पर निवास कर रहे हो आप महाज्ञान के भण्डार हो, बल बुद्धि में प्रवीण हो, कृपया आप मेरे गुरु बनकर मुझे शिष्य रूप में स्वीकार कर के मुझे ज्ञान की भिक्षा दीजिये। तब हनुमान जी ने कहा—हे भीम सेन सबसे पहले सतयुग आया उसमें जो कामना मन में आती थी वो कृत (पूरी ) हो जाती थी इसलिए इसे क्रेता युग (सतयुग) कहते थे इसमें धर्म को कभी हानि नहीं होती थी। उसके बाद त्रेता युग आया इस युग में यज्ञ करने की प्रवृति बन गयी थी इसलिए इसे त्रेता युग कहते थे। त्रेता युग में लोग कर्म करके कर्म फल प्राप्त करते थे। हे भीम सेन फिर द्वापर युग आया इस युग में विदों के 4 भाग हो गये और लोग सत भ्रष्ट हो गए। धर्म के मार्ग से भटकने लगे, अधर्म बढने लगा, परन्तु हे भीम सेन अब जो युग आएगा वो है कलयुग इस युग में धर्म खत्म हो जायेगा मनुष्य को उसकी इच्छा के अनुसार फल नहीं मिलेगा चारों और अधर्म ही अधर्म का साम्राज्य दिखाई देगा।

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द्वापरयुग

कहा जाता है यह युग 8,64,000 वर्षों का था, जिसमें व्यक्ति 1000 साल तक जी सकता था, ऐसा माना जाता है जैसे- जैसे धरती पर पाप बढ़ेगा वैसे-वैसे इंसान की जीने की उम्र और उसकी इच्छा की पूर्ति कम होने लगेगी। हनुमान जी का कहना था कि द्वापरयुग में लोग धर्म के मार्ग से भटकने लगेंगे और धरती पर पाप बढऩे लगेगा। जैसे कि आप सभी जानते हो इस युग में विष्णु जी ने खुद श्रीकृष्णा का अवतार लेकर कंस को मौत के घाट उतारा था।

कलयुग

कलयुग में एक आत्मा का जन्म 45 बार होता है और उसकी उम्र 100 साल तक की होगी। इस युग में इंसान पर्यावरण को तहस नहस कर देगा और इस युग में इंसान की इच्छा पूर्ति कम हो जाएगी और वह पाप का भागीदार बन जाएगा।

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