हनुमान जी थे परम शक्तिशाली, कहाँ से प्राप्त हुई हनुमानजी को शक्तियां

By: Ankur Mundra Fri, 02 Nov 2018 3:22:18

हनुमान जी थे परम शक्तिशाली, कहाँ से प्राप्त हुई हनुमानजी को शक्तियां

रामायण को भगवान श्रीराम की जीवनी के लिए जाना जाता हैं, लेकिन इसी के साथ ही इस पवित्र ग्रन्थ में कई अन्य पात्रों की जीवनी का भी उल्लेख मिलता हैं। खासतौर से हनुमान जी की जीवनी देखने को मिलती हैं। हनुमान जी परम शक्तिशाली थे और उनकी बुद्धि और पराक्रम के लिए उन्हें जाना जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि हनुमान जी को ये अपार शक्तियां किस तरह प्राप्त हुई थी। अगर नहीं तो आज हम बताते हैं आपको इनके बारे में।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, बाल्यकाल में जब हनुमान सूर्यदेव को फल समझकर खाने को दौड़े तो घबराकर देवराज इंद्र ने हनुमानजी पर वज्र का वार किया। वज्र के प्रहार से हनुमान निश्तेज हो गए। यह देखकर वायुदेव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने समस्त संसार में वायु का प्रवाह रोक दिया। संसार में हाहाकार मच गया। तब परमपिता ब्रह्मा ने हनुमान को स्पर्श कर पुन: चैतन्य किया। उस समय सभी देवताओं ने हनुमानजी को वरदान दिए। इन वरदानों से ही हनुमानजी परम शक्तिशाली बन गए।

* भगवान सूर्य ने हनुमानजी को अपने तेज का सौवां भाग देते हुए कहा कि जब इसमें शास्त्र अध्ययन करने की शक्ति आ जाएगी, तब मैं ही इसे शास्त्रों का ज्ञान दूंगा, जिससे यह अच्छा वक्ता होगा और शास्त्रज्ञान में इसकी समानता करने वाला कोई नहीं होगा।

* धर्मराज यम ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह मेरे दण्ड से अवध्य और निरोग होगा।

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* यक्षराज कुबेर ने वरदान दिया कि इस बालक को युद्ध में कभी विषाद नहीं होगा तथा मेरी गदा संग्राम में भी इसका वध न कर सकेगी।

* भगवान शंकर ने यह वरदान दिया कि यह मेरे और मेरे शस्त्रों द्वारा भी अवध्य रहेगा।

* देवशिल्पी विश्वकर्मा ने वरदान दिया कि मेरे बनाए हुए जितने भी शस्त्र हैं, उनसे यह अवध्य रहेगा और चिंरजीवी होगा।

* देवराज इंद्र ने हनुमानजी को यह वरदान दिया कि यह बालक आज से मेरे वज्र द्वारा भी अवध्य रहेगा।

* जलदेवता वरुण ने यह वरदान दिया कि दस लाख वर्ष की आयु हो जाने पर भी मेरे पाश और जल से इस बालक की मृत्यु नहीं होगी।

* परमपिता ब्रह्मा ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह बालक दीर्घायु, महात्मा और सभी प्रकार के ब्रह्दण्डों से अवध्य होगा। युद्ध में कोई भी इसे जीत नहीं पाएगा। यह इच्छा अनुसार रूप धारण कर सकेगा, जहां चाहेगा जा सकेगा।
इसकी गति इसकी इच्छा के अनुसार तीव्र या मंद हो जाएगी।

* इसके अलावा जब हनुमानजी माता सीता को खोजते हुए अशोक वाटिका पहुंचे थे तब माता सीता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था।

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