गंगा दशहरा के दिन घर में स्नान के समय करे इस मन्त्र का जाप, मिलेगी पापों से मुक्ति
By: Pinki Sun, 31 May 2020 11:26:54
1 जून को गंगा दशहरा है। इस दिन ही भगवान शिव की जटाओं से मां गंगा पृथ्वी पर उतरी थीं। हिन्दू धर्म में गंगा को पवित्र नदी कहा जाता है। सनातन धर्म में गंगाा को मोक्ष दायिनी कहा गया है। आज भी मृत्यु के बाद मनुष्य की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करना श्रेष्ठ माना जाता है। अस्थि विसर्जन के लिए हिंदु समाज में सबसे ज्यादा महत्व गंगा नदी का ही माना जाता है। वहीं यह भी मान्यता है कि गंगा में एक बार स्नान करने से 10 तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।
ज्योष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा पर्व को लोग पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। गंगा दशहरा के दिन लोग गंगा पूजन और गंगा आरती के साथ ही गंगा स्त्रोत का पाठ व दान-दक्षिणा करने से अभीष्ठ पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा पर दशमी तिथि का प्रारंभ 31 मई रविवार को शाम के समय शुरू हो जाएगा। ज्योतिषियों का मानना है कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धियोग, याजिकयोग, अमृत सिद्धि योग, रवियोग रहेंगे। वहीं दशमी को प्रात: 11:54 तक हस्त नक्षत्र के साथ सिद्धि योग में स्नान का पुण्यकाल है।
इस मन्त्र का करें जाप
जैसे की गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान का विशेष महत्त्व है लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते इस समय गंगा स्नान संभव नहीं है। ऐसे में गंगा दशहरा पर पुण्य लाभ कमाने के लिए घर पर नहाते समय बाल्टी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर स्नान करें। स्नान करते समय 'ऊं नम: शिवाय नारायनये दशहराये गंगाये नम:' मंत्र का जाप 10 बार करें। इसके साथ ही जौ और 16 मुट्ठी तिल लेकर तर्पण भी करना चाहिए। इस दिन किया गया दान अनुष्ठान कार्य पितरों को मोक्ष वंशवृद्धि के लिए अति उत्तम है।
इसके अलावा गंगा दशहरा के दिन स्नान के बाद किसी गरीब व्यक्ति को पानी से भरा हुआ घड़े का दान जरूर करना चाहिए। इस पर्व पर मौसमी फल को दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। राहगीरों को पानी पीने की व्यावस्था करनी चाहिए। ऐसे करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
बता दे, गंगा स्वर्ग से निकली नदी है, जिसे भगीरथ अपनी तपस्या से पृथ्वी पर लेकर आए थे। माना जाता है, गंगा भले ही जाकर समुद्र में मिल जाती है लेकिन गंगा के पानी में बहने वाली अस्थि से पितरों को सीधे स्वर्ग मिलता है। गंगा का निवास आज भी स्वर्ग ही माना गया है। इसी सोच के साथ मृत देहों की अस्थियां गंगा में बहाई जाती है, जिससे मृतात्मा को स्वर्ग की प्राप्ति हो। पुराणों में बताया गया है कि गंगातट पर देह त्यागने वाले को यमदंड का सामना नही करना पड़ता।