विवाह के समय माता सीता की आयु 6 वर्ष थी, जानें इनसे सम्बंधित कुछ रोचक बातें
By: Ankur Fri, 02 Nov 2018 2:51:48
दिवाली का त्योहार राम की रावण पर विजय के लिए मनाया जाता हैं। रावण ने माता सीता का अपहरण किया था और यही उसकी मौत का कारण बना था। लेकिन क्या आप जानते है कि माता सीता का जब प्रभु श्री राम से विवाह हुआ था तब वे उनकी आयु 6 वर्ष थी। इस बात का पता वाल्मीकि कृत ‘रामायण’और तुलसीदास द्वारा रचित ‘श्री रामचरित मानस’से पता चलता हैं। आज हम आपको माता सीता से सम्बंधित कुछ रोचक बातें आपको बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते है इनके बारे में।
* रामायण के एक प्रसंग से पता चलता है कि विवाह के बाद सीता 12 वर्ष तक अयोध्या में ही रहीं और जब वे वनवास पर जा रहीं थीं, तब उनकी आयु 18 वर्ष थी। इससे स्पष्ट होता है कि विवाह के समय सीता की आयु 6 वर्ष रही होगी। साथ ही यह भी ज्ञात होता है कि श्रीराम और सीता की उम्र में 7 वर्ष का अंतर था।
* विश्वामित्र ने ही राजा जनक से श्रीराम को वह शिवधनुष दिखाने के लिए कहा। तब भगवान श्रीराम ने खेल ही खेल में उस धनुष को उठा लिया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया। राजा जनक ने यह प्रण किया था कि जो भी इस शिव धनुष को उठा लेगा, उसी से वे अपनी पुत्री सीता का विवाह कर देंगे। प्रण पूरा होने पर राजा जनक ने राजा दशरथ को बुलावा भेजा और विधि-विधान से सीता का विवाह श्रीराम से करवाया।
* वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार जब राजा जनक यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय उन्हें भूमि से एक कन्या प्राप्त हुई। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को सीता कहते हैं। इसलिए इस बालिका का नाम सीता रखा गया।
* श्रीरामचरित मानस के अनुसार वनवास के दौरान श्रीराम के पीछे-पीछे सीता चलती थीं। चलते समय सीता इस बात का विशेष ध्यान रखती थीं कि भूल से भी उनका पैर श्रीराम के चरण चिह्नों (पैरों के निशान) पर न रखाएं। श्रीराम के चरण चिह्नों के बीच-बीच में पैर रखती हुई सीताजी चलती थीं।
* एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था, तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, उसका नाम वेदवती था। वह भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्विनी ने रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी, इतना कहकर वह अग्नि में समा गई। उसी स्त्री ने दूसरे जन्म में सीता के रूप में जन्म लिया। ये प्रसंग वाल्मीकि रामायण का है।
* वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण ने सीता का हरण अपने रथ से किया था। रावण का यह दिव्य रथ सोने का बना था,इसमें गधे जूते थे और वह गधों के समान ही शब्द (आवाज) करता था।
* मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रीराम व सीता का विवाह हुआ था। हर साल इस तिथि पर श्रीराम-सीता के विवाह के उपलक्ष्य में विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह प्रसंग श्रीरामचरित मानस में मिलता है।