रामचरितमानस के अनुसार इन 5 कामों से हमेशा होता है नुकसान, छोड़ देना ही बेहतर है

By: Pinki Thu, 03 May 2018 2:56:36

रामचरितमानस के अनुसार इन 5 कामों से हमेशा होता है नुकसान, छोड़ देना ही बेहतर है

हर व्यक्ति की यही कामना होती है कि वह जो भी कार्य करें उसमें फायदा हो और नुकसान ना हो। जीवन में व्यक्ति के द्वारा कई काम किये जाते हैं। लेकिन इनमें से कुछ काम ऐसे होते हैं जिनका व्यक्ति को अंदेशा नहीं होता लेकिन वे काम व्यक्ति के जीवन में हमेशा नुकसान ही लाते हैं। ये पांच काम रामचरित मानस में एक दोहे के रूप में बताये गए हैं जो इंसान के द्वारा करने से नुकसान ही होता हैं। आज हम आपको वो पांच काम बताने जा रहे हैं जिन्हें जितना जल्दी हो सकें त्यागने की कोशिश करनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं उन पांच कामों के बारे में।

* राग अर्थात अत्यधिक प्रेम :
जीवन में किसी भी बात की अति बुरी होती है। किसी से भी अत्यधिक या हद से ज्यादा प्रेम करना गलत ही होता है। बहुत ज्यादा प्रेम की वजह से हम सही-गलत को नहीं पहचान पाते है। कई बार बहुत अधिक प्रेम की वजह से मनुष्य अधर्म तक कर जाता है।

* रोष अर्थात क्रोध : क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है। क्रोध में मनुष्य अच्छे-बुरे की पहचान नहीं कर पाता है। जिस व्यक्ति का स्वभाव गुस्से वाला होता है, वह बिना सोच-विचार किये किसी का भी बुरा कर सकता है। क्रोध की वजह से मनुष्य का स्वभाव दानव के समान हो जाता है। क्रोध में किए गए कामों की वजह से बाद में शर्मिदा होना पड़ता है और कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस आदत को छोड़ देना चाहिए।

* ईर्ष्या अर्थात जलन :
जो मनुष्य दूसरों के प्रति अपने मन में ईर्ष्या या जलन की भावना रखता है, वह निश्चित ही पापी, छल-कपट करने वाला, धोखा देने वाला होता है। वह दूसरों के नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। जलन की भावना रखने वाले के लिए सही-गलत के कोई पैमाने नहीं होते हैं।

* मद अर्थात अहंकार : सामाजिक जीवन में सभी के लिए कुछ सीमाएं होती हैं। हर व्यक्ति को उन सीमाओं का हमेशा पालन करना चाहिए, लेकिन अहंकारी व्यक्ति की कोई सीमा नहीं होती। अंहकार में मनुष्य को अच्छे-बुरे किसी का भी होश नहीं रहता है। अहंकार के कारण इंसान कभी दूसरों की सलाह नहीं मानता, अपनी गलती स्वीकार नहीं करता और दूसरों का सम्मान नहीं करता। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार और दोस्तों को कष्ट पहुंचाने वाला होता है।

* मोह अर्थात लगाव : सभी को किसी ना किसी वस्तु या व्यक्ति से लगाव जरूर होता है। यह मनुष्य के स्वभाव में शामिल होता है, परन्तु किसी भी वस्तु या व्यक्ति से अत्यधिक मोह भी बर्बादी का कारण बन सकता है। किसे से भी बहुत ज्यादा लगाव होने पर भी व्यक्ति सही-गलत का फैसला नहीं कर पाता है और उसके हर काम में उसका साथ देने लगता है। जिसकी वजह से कई बार नुकसार का भी सामना करना पड़ जाता है।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com