
सावन के पवित्र महीने में आयोजित होने वाली धार्मिक यात्राएं भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती हैं, लेकिन राजस्थान के अलवर जिले में सोमवार को ऐसी ही एक यात्रा भयावह हादसे में बदल गई। लक्ष्मणगढ़ थाना क्षेत्र के बीछगांव गांव में निकाली जा रही रथ यात्रा के दौरान रथ ऊपर से गुजर रही 11 केवी की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गया, जिससे रथ में सवार दो कांवड़ियों की मौके पर ही मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक श्रद्धालु झुलस गए।
हादसे की भयावहता ने सभी को झकझोरा
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रथ जैसे ही हाईटेंशन तारों के नीचे से गुजरा, वैसे ही बिजली का जोरदार झटका पूरे रथ में फैल गया। श्रद्धालु चीखते-चिल्लाते हुए जमीन पर गिर पड़े। बिजली की चपेट में आए लोगों को तुरंत लक्ष्मणगढ़ और गढ़ी सवाईराम के नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया गया। इनमें से पांच की हालत गंभीर बताई गई है और उन्हें अलवर जिला अस्पताल रेफर किया गया है।
गांव में गुस्सा, सड़क जाम और प्रशासन पर आक्रोश
इस हादसे के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया। बीछगांव के लोगों ने लक्ष्मणगढ़–गढ़ी सवाईराम मुख्य सड़क को पूरी तरह जाम कर दिया और प्रशासन व बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया। ग्रामीणों की मांग है कि मृतकों के परिजनों को तुरंत उचित मुआवजा दिया जाए और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई हो। प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन समाचार लिखे जाने तक ग्रामीण कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे।
मृतकों की पहचान और unanswered सवाल
हादसे में जिन दो श्रद्धालुओं की जान गई, वे स्थानीय निवासी थे और विशेष रूप से सावन की धार्मिक भावना के साथ रथ यात्रा में शामिल हुए थे। प्रशासन ने अब तक न तो मुआवजे की कोई घोषणा की है और न ही लापरवाह कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई की गई है।
धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा के इंतजाम क्यों नाकाफी?
यह हादसा एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि सार्वजनिक धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए जाते? हाईटेंशन तारों के नीचे से रथ निकालने की अनुमति क्यों दी गई? क्या बिजली विभाग को पहले से इस बात की जानकारी नहीं थी? सावन जैसे संवेदनशील महीने में जब देशभर में कांवड़ यात्राएं निकाली जा रही हैं, तब सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारी की यह अनदेखी निंदनीय है।
अलवर की इस दुखद घटना ने फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि श्रद्धा के उत्सव को सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन, पुलिस और बिजली विभाग को समन्वय के साथ काम करना होगा। वरना हर साल श्रद्धा के इन अवसरों पर जानें जाती रहेंगी और जिम्मेदार विभाग सिर्फ बयानबाजी करते रहेंगे।














