
जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर बुधवार को उस वक्त राजनीतिक आक्रोश का मंच बन गया, जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने छात्रसंघ चुनावों की बहाली की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया और प्रतीकात्मक रूप से 'छात्रसंघ की शवयात्रा' निकाली। खास बात यह रही कि इस प्रदर्शन में एबीवीपी ने न केवल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को घेरा बल्कि अब सत्ता में काबिज भाजपा सरकार को भी चेतावनी दे डाली कि अगर चुनाव नहीं कराए गए तो पूरे प्रदेश में आंदोलन छेड़ा जाएगा।
मुखौटों के पीछे सत्ता के प्रतीक
प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा और एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ के मुखौटे पहनकर 'शवयात्रा' को कंधा दिया। इस प्रतीकात्मक आयोजन के जरिए एबीवीपी ने कांग्रेस सरकार पर छात्र राजनीति की 'हत्या' का आरोप लगाया।
एबीवीपी कार्यकर्ताओं का कहना था कि 2022 में अंतिम बार छात्रसंघ चुनाव हुए थे, जिसमें एनएसयूआई को करारी हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद आचार संहिता और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के नाम पर छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगा दी गई।
भाजपा सरकार को भी चेतावनी
हालांकि ये प्रदर्शन केवल कांग्रेस के खिलाफ नहीं था। एबीवीपी ने भाजपा सरकार को भी चेतावनी दी कि अगर जल्द चुनाव बहाल नहीं हुए तो यह आंदोलन पूरे राजस्थान में जिला स्तर तक फैलाया जाएगा।
एबीवीपी के प्रांत मंत्री अभिनव सिंह ने स्पष्ट कहा कि –“पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने छात्रसंघ की हत्या की थी और अब भाजपा सरकार को उसे पुनर्जीवित करने का अवसर है। यदि उन्होंने भी चुप्पी साधे रखी, तो छात्र उन्हें भी माफ नहीं करेंगे।”
विरोध में हुई पुलिस से धक्का-मुक्की
जैसे ही शवयात्रा को विश्वविद्यालय परिसर से बाहर ले जाया गया, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की धक्का-मुक्की हुई। हालांकि माहौल को नियंत्रित कर लिया गया, लेकिन इसके बाद छात्रों ने यूनिवर्सिटी गेट के बाहर ही धरना शुरू कर दिया।
छात्रों ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि लोकतंत्र की पहली पाठशाला विश्वविद्यालय होती है और जब तक यहां चुनाव नहीं होंगे, लोकतंत्र अधूरा रहेगा।
'डबल इंजन' सरकार से सीधी मांग
एबीवीपी इकाई अध्यक्ष विष्णु मीणा ने भाजपा सरकार से सीधे-सीधे मांग की कि –“अब जब राज्य और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है, तो छात्रों के हितों की रक्षा करना और लोकतांत्रिक परंपराओं को बहाल करना उनकी जिम्मेदारी है।”
इकाई मंत्री धर्मेंद्र शर्मा ने भी जोड़ा –“हमारी सिर्फ एक ही मांग है – छात्रसंघ चुनाव तत्काल कराए जाएं। भाजपा को चाहिए कि कांग्रेस सरकार के तुगलकी फैसलों को पलटे और युवा राजनीति को फिर से ज़िंदा करे।”
राजनीति की पहली सीढ़ी को बहाल करने की लड़ाई
प्रदर्शन में मौजूद छात्रों ने एक स्वर में कहा कि छात्रसंघ चुनाव केवल राजनीति की शुरुआत नहीं बल्कि युवाओं को नेतृत्व, संगठन और जवाबदेही सिखाने का मंच होता है। इसे रोककर न केवल छात्रों के अधिकार छीने जा रहे हैं बल्कि लोकतंत्र की जड़ें भी कमजोर हो रही हैं।
राजस्थान विश्वविद्यालय में एबीवीपी का यह आक्रामक प्रदर्शन न केवल विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष को भी आईना दिखाने वाला रहा। जहां एक ओर यह कांग्रेस सरकार के फैसलों की आलोचना करता है, वहीं भाजपा सरकार से भी सीधा सवाल पूछता है – “आप कब तक चुप रहेंगे?”
अब देखना यह है कि क्या राज्य सरकार इस आंदोलन के दबाव में छात्रसंघ चुनावों को लेकर कोई ठोस घोषणा करती है, या यह शवयात्रा आने वाले दिनों में और उग्र आंदोलन का संकेत बन जाएगी।














