
देशभर में क्रिसमस डे की तैयारियों का रंग चढ़ चुका है। बाजारों और कार्यालयों में क्रिसमस की सजावट और झलकियां देखने को मिल रही हैं। इस बीच राजस्थान के श्रीगंगानगर से शिक्षा विभाग का एक सख्त आदेश सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि स्कूलों में बच्चों को जबरदस्ती सांता क्लॉज बनने के लिए दबाव डालना पूरी तरह प्रतिबंधित है। सरकारी पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि न तो अभिभावक और न ही बच्चे इस गतिविधि के लिए अनावश्यक रूप से दबाव में आएं।
बच्चों पर दबाव बनाना नियम विरुद्ध
श्रीगंगानगर जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) के कार्यालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि किसी भी स्कूल द्वारा बच्चों या उनके अभिभावकों पर सांता क्लॉज बनने या इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए दबाव डालना गलत है। यदि किसी स्कूल में इस प्रकार की शिकायत मिलती है, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही, यदि किसी स्कूल में अभिभावकों और बच्चों की सहमति से क्रिसमस से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, तो शिक्षा विभाग को इसमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन जबरदस्ती या मानसिक दबाव के मामले में स्कूल प्रबंधन पूरी तरह जिम्मेदार होगा।
वीर बाल दिवस और संवेदनशीलता बनाए रखना जरूरी
ADEO अशोक वधवा ने बताया कि 25 दिसंबर को क्रिसमस के साथ-साथ वीर बाल दिवस भी मनाया जाता है, जो साहिबजादों के बलिदान की स्मृति से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि स्कूलों को कार्यक्रमों में संतुलन और संवेदनशीलता बनाए रखनी चाहिए और किसी भी प्रकार की जबरदस्ती से बचना चाहिए।
विशेष परंपरा थोपना अनुचित
भारत-तिब्बत सहयोग मंच के जिला अध्यक्ष सुखजीत सिंह अटवाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कुछ स्कूलों ने क्रिसमस डे के नाम पर बच्चों को जबरन सांता क्लॉज बनाने के लिए मजबूर किया, जिससे अभिभावकों में नाराजगी पाई गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि श्रीगंगानगर जिला सनातन हिंदू और सिख बहुल क्षेत्र है, इसलिए किसी विशेष परंपरा को थोपना उचित नहीं है।
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी धर्म या परंपरा से जुड़ता है, तो यह उसका निजी अधिकार है। लेकिन किसी पर जबरन किसी धर्म के प्रचार-प्रसार या उससे जुड़ने का दबाव डालना अनुचित है और इसका विरोध किया जाना चाहिए।














