
राजस्थान के बहुचर्चित समरावता थप्पड़ कांड और हिंसा मामले में मंगलवार को मुख्य आरोपी नरेश मीणा को टोंक की एससी-एसटी विशेष अदालत में कड़ी सुरक्षा के बीच पेश किया गया। उपचुनाव के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मारने के आरोप के बाद भड़की हिंसा के इस मामले में कोर्ट ने नरेश मीणा समेत 52 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। इस दौरान नरेश मीणा ने पुलिस वैन में बैठते हुए कहा—"नीली छतरी वाले पर भरोसा है"।
SC-ST कोर्ट में हुई पेशी, धाराएं रखी गईं यथावत
एफआईआर नंबर 167/24 के तहत दर्ज इस मामले में टोंक की एससी-एसटी कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान विशेष लोक अभियोजक रामअवतार सोनी ने जानकारी दी कि कोर्ट ने पुलिस द्वारा दायर आरोप-पत्र की सभी धाराओं को यथावत स्वीकार किया है। इनमें नवगठित भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 109(1) भी शामिल है। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 19 जुलाई निर्धारित की है। पेशी के दौरान कुल 59 में से 52 आरोपी कोर्ट में उपस्थित हुए।
न्याय के लिए भगवान पर भरोसा, वकील बोले—हाईकोर्ट जाएंगे
नरेश मीणा के वकील फतेहराम मीणा ने कोर्ट के फैसले को ‘निराशाजनक’ बताया। उन्होंने कहा कि अभी केवल मौखिक आदेश सुनाया गया है, आदेश की कॉपी मिलने के बाद विस्तृत रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की संभावना जताई। पेशी के दौरान अदालत परिसर में भारी पुलिस बल की तैनाती रही, वहीं नरेश मीणा के समर्थक भी बड़ी संख्या में पहुंचे। पुलिस वैन में बैठते समय नरेश ने मीडिया से कहा—"नीली छतरी वाले (भगवान) पर मुझे पूरा भरोसा है।"
कैसे हुआ था विवाद—13 नवंबर 2024 की घटना
यह मामला 13 नवंबर 2024 को देवली-उनियारा उपचुनाव के मतदान दिवस से जुड़ा है। चुनाव के दिन नरेश मीणा ने चुनाव ड्यूटी पर तैनात एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया था। जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश की, तो समरावता गांव में उनके समर्थकों ने पथराव और आगजनी की। कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया और हिंसा फैली। इसके अगले ही दिन भारी पुलिस बल की तैनाती के बाद नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया गया था। वह बीते आठ महीनों से न्यायिक हिरासत में हैं।
आंदोलन की तैयारी में समर्थक, 20 जुलाई को विधानसभा घेराव का ऐलान
नरेश मीणा की रिहाई को लेकर उनके समर्थकों में आक्रोश है। समर्थक मनोज मीणा ने जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 20 जुलाई से विधानसभा घेराव की योजना बनाई गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नरेश मीणा के पिता से एक महीने में रिहाई का वादा किया था, लेकिन चार महीने बीतने के बावजूद कोई राहत नहीं मिली। इसके विरोध में 11 जुलाई को आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए समर्थकों की अहम बैठक बुलाई गई है।
एसडीएम थप्पड़ कांड अब केवल एक कानूनी मामला नहीं रह गया है, यह राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों का कारण बनता जा रहा है। कोर्ट की कार्रवाई और अगली सुनवाई के साथ-साथ समर्थकों की नाराजगी और सरकार से टकराव की स्थिति आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति को गर्मा सकती है। अब सबकी निगाहें 19 जुलाई की सुनवाई और 20 जुलाई को प्रस्तावित आंदोलन पर टिकी हैं।














