राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बार फिर एसीबी ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा एक्शन लिया है। झीलों की नगरी उदयपुर में जयपुर शहर प्रथम इकाई की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) टीम ने शुक्रवार को सीएमएचओ कार्यालय के सहायक प्रशासनिक अधिकारी (AAO) आशीष डामोर को 1.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी अधिकारी ने एक निजी अस्पताल का लाइसेंस निरस्त नहीं करने के बदले अस्पताल संचालक से कुल 2.50 लाख रुपये की मांग की थी।
निरीक्षण में गड़बड़ियां बताकर मांगी मोटी रकम
एसीबी के अनुसार, आशीष डामोर हाल ही में उदयपुर स्थित एक निजी अस्पताल के निरीक्षण के लिए पहुंचा था। निरीक्षण में जानबूझकर कमियां निकाली गईं और लाइसेंस रद्द करने की धमकी दी गई। इसके एवज में अधिकारी ने 2.50 लाख रुपये की रिश्वत की डिमांड की। मामला वहीं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इस पूरे भ्रष्टाचार की कहानी को अंजाम देने के लिए सौदेबाजी तक की गई।
शिकायत के बाद हुआ प्लान, पहले 50 हजार लिए, फिर बिछाया गया जाल
पीड़ित अस्पताल संचालक ने पूरे घटनाक्रम की शिकायत एसीबी जयपुर को दी। शिकायत की सत्यता जांचने के लिए एक ट्रैप प्लान तैयार किया गया। इस प्रक्रिया के तहत आरोपी ने पहले 50 हजार रुपये नकद ले लिए, और शेष 1.5 लाख रुपये लेने के लिए शुक्रवार शाम का समय तय किया। एसीबी टीम ने उसी तय समय पर मौके पर दबिश दी और आरोपी अधिकारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।
अधिकारी के घर और अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी
एसीबी के एएसपी भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद आरोपी आशीष डामोर के आवास और अन्य संभावित ठिकानों पर तलाशी की जा रही है। टीम को वहां से कुछ दस्तावेज और अन्य महत्वपूर्ण सबूत भी मिले हैं, जिन्हें आगे की जांच का हिस्सा बनाया जाएगा।
संदिग्ध लेन-देन और संपत्ति की भी होगी जांच
इस कार्रवाई के बाद अब आरोपी के पिछले कार्यकाल, लेन-देन और संपत्ति की भी जांच शुरू की गई है। एसीबी की टीम ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज कर विस्तृत अनुसंधान शुरू कर दिया है। यह पता लगाया जा रहा है कि क्या इस प्रकार की वसूली का कोई संगठित नेटवर्क भी इसके पीछे है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ एसीबी का अभियान तेज
राजस्थान में बीते कुछ महीनों से एसीबी ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अपना शिकंजा कसना तेज कर दिया है। स्वास्थ्य, पुलिस, राजस्व, नगर निकाय जैसे विभागों में लगातार घूसखोरी के मामलों में कार्रवाई हो रही है। हाल ही में रूपवास में भी एक सहायक उप निरीक्षक को 5 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था।
सरकारी व्यवस्था पर फिर सवाल, लेकिन ACB की कार्रवाई बनी उम्मीद की किरण
उदयपुर की इस घटना ने एक बार फिर सरकारी तंत्र में मौजूद भ्रष्टाचार के जड़ तक फैलने की पुष्टि कर दी है। स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्र में रिश्वत की मांग न केवल अनैतिक है, बल्कि आम लोगों की सेहत और सुरक्षा से खिलवाड़ भी है। हालांकि ACB की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ समाज में एक मजबूत संदेश जरूर देती है कि भ्रष्टाचार करने वालों की अब खैर नहीं। जनता की आंखों में उम्मीद की नई किरण जगी है कि न्याय की व्यवस्था अब भी जिंदा है और धीरे-धीरे ही सही, लेकिन वह आगे बढ़ रही है।