
जोधपुर के फलोदी क्षेत्र में हुए दर्दनाक बस हादसे के बाद सोमवार का दिन पूरे शहर के लिए शोक और आंसुओं से भरा रहा। महात्मा गांधी अस्पताल और एम्स मोर्चरी से जब मृतकों के शव उनके घरों तक पहुंचे, तो नैनंची का बाग मोहल्ला चीखों से गूंज उठा। जहां भी नजर गई, बस आंसू और सन्नाटा था। हादसे में जान गंवाने वाले 15 लोगों में से 14 माली समाज से थे, जो इसी मोहल्ले में रहते थे। घरों से जब एक के बाद एक अर्थियां निकलीं, तो वातावरण शोक में डूब गया।
एक परिवार से उठीं छह अर्थियां
नैनंची का बाग स्थित खटुकड़ी का बास में उस वक्त हाहाकार मच गया, जब एक ही घर में छह शव एक साथ पहुंचे। खुश सांखला, उनकी मां मधु सांखला, गीता, सानिया, दिशा और रामेश्वरी — सभी की अर्थियां एक साथ उठीं तो पूरा मोहल्ला बिलख पड़ा। मौके पर पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे, जिन्होंने पूरे सम्मान के साथ शवों को अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचाया।
12 चिताओं की लपटों से कांपा श्मशान
सूरसागर के पास स्थित माली समाज के श्मशान घाट में सोमवार को दर्द और मातम का सागर उमड़ पड़ा। बारह अर्थियां एक साथ पहुंचीं और पूरे श्मशान में सिर्फ चिताएं ही चिताएं नजर आईं। जब परिजनों ने अपनी मां, पत्नी या बेटी की चिता को अग्नि दी, तो रोने की आवाजें पूरे क्षेत्र में गूंज उठीं। माहौल इतना भावुक था कि हर कोई नम आंखों से इस त्रासदी को देखता रह गया।
जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी हुए शामिल
अंतिम संस्कार स्थल पर प्रभारी मंत्री मदन दिलावर ने पहुंचकर मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके साथ सूरसागर विधायक देवेंद्र जोशी, संभागीय आयुक्त प्रतिभा सिंह, जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल और पुलिस कमिश्नर ओमप्रकाश पासवान भी मौजूद थे। सभी ने एक साथ शोक संवेदना प्रकट की और हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को सांत्वना दी। हादसे में जान गंवाने वाले टेंपो चालक फतेहपुरी का भी विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया गया।
मुआवजे पर बनी सहमति
रविवार देर रात तक शव महात्मा गांधी अस्पताल में रखे गए थे। हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों ने 25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग को लेकर धरना शुरू किया था। सोमवार सुबह प्रभारी मंत्री ने राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की। इसके साथ ही प्रधानमंत्री राहत कोष से भी 22 लाख रुपये देने की बात कही गई। इस घोषणा के बाद परिजनों ने पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी कराई और शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।
पूरे समाज में पसरा शोक
इस हादसे ने जोधपुर के माली समाज ही नहीं, पूरे शहर को झकझोर दिया है। हर गली, हर घर से रुदन की आवाजें उठ रही थीं। किसी ने बेटा खोया, किसी ने मां, तो किसी ने पूरा परिवार। यह दृश्य जिसने भी देखा, उसकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। एक साथ बारह चिताओं का जलना मानो शहर के दिल में एक स्थायी घाव छोड़ गया।














