
जयपुर की सियासी गर्मी एक बार फिर तेज़ हो गई है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच तल्ख़ी भरी ज़ुबानी जंग ने एक नया मोड़ ले लिया है। जहां एक ओर शेखावत ने गहलोत पर उनकी माता का अपमान करने का गंभीर आरोप लगाया, वहीं गहलोत ने इसे सिरे से खारिज करते हुए भावुक अंदाज में कहा कि उनके संस्कार ही नहीं हैं किसी महिला का अपमान करने के। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसा परिवार और सोच रखते हैं, जहां नारी का सम्मान सर्वोपरि है।
रविवार को मीडिया से संवाद करते हुए गहलोत ने कहा, "अगर हमारी सरकार की नियत भी भाजपा सरकार जैसी होती, तो दो महीने में रिपोर्ट बनाकर कई लोगों को जेल में डाल दिया जाता। लेकिन हमने कानून और इंसाफ के दायरे में रहकर जांच करवाई।" उन्होंने कहा कि जब राज्य में सरकार बदली, तो मात्र 2 महीने में ही गजेंद्र सिंह शेखावत को क्लीन चिट दे दी गई। “जब वह हाईकोर्ट गए, तो वहां भी यही कहा गया कि एसओजी रिपोर्ट में आरोपी नहीं है, तो कोर्ट क्या करे?”
"अगर हमारी नीयत भी ख़राब होती..."
गहलोत ने साफ़ कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में संजीवनी घोटाले की 2 साल तक ईमानदारी से जांच चली। उन्होंने एसओजी से रिपोर्ट मांगी, जिसमें गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार के लोगों के नाम दर्ज थे। गहलोत ने इसे सार्वजनिक करते हुए कहा, "जनता को यह भरोसा होना चाहिए कि सरकार उनके साथ खड़ी है। मैं तब मुख्यमंत्री था, मेरे पास गृह विभाग भी था – अगर मैं चाहता तो दो महीने में रिपोर्ट बना कर कई लोगों को जेल में डाल देता।"
राजपूत समाज के पीड़ितों की पीड़ा भी जताई
गहलोत ने दर्द बयां करते हुए बताया कि जोधपुर, बाड़मेर जैसे इलाकों में हजारों लोगों ने अपने जेवर और ज़मीनें बेचकर इसमें निवेश किया था। "उस समय शेखावत और उनके परिवार ने संजीवनी को खूब प्रमोट किया, इसके सबूत हमारे पास हैं," उन्होंने जोड़ा। भावुक होते हुए गहलोत ने कहा, "हमने किसी महिला को परेशान नहीं किया, क्योंकि अगर कोई पुरुष गलती करता है, तो उस गलती की सज़ा किसी महिला को क्यों मिले?" उन्होंने यह भी जोड़ा कि पीड़ितों में अधिकांश राजपूत समाज से ही हैं।
“माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता”
गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा माफ न किए जाने पर गहलोत ने दो टूक कहा, "मैंने कब माफी मांगी? सवाल ही नहीं उठता। अगर आप दोषी नहीं हो, तो चलिए दोनों मिलकर पीड़ितों के पास चलते हैं और उन्हें न्याय दिलाते हैं। उनका पैसा वापस कैसे आए, इस दिशा में काम करते हैं।"
देश की विविधता को लेकर गहलोत का संतुलित बयान
वहीं महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषा को लेकर हो रहे विवाद पर गहलोत ने संयमित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "यह देश बहुत बड़ा है। यहां हर राज्य की अपनी भाषा और संस्कृति है। ऐसे मुद्दे आते रहते हैं, लेकिन इनमें से कई बार कुछ राजनीतिक या सामाजिक एजेंडे भी चलते हैं। मेरा मानना है कि इसे बहुत बड़ा मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।"














