
राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में एक बार फिर बच्चों को मजदूरी में झोंकने का घिनौना खेल उजागर हुआ है। गरीबी और मजबूरी में जी रहे परिवारों के बच्चों को शहरों में बड़े काम दिलाने के बहाने ले जाने वाले तीन एजेंटों को पुलिस ने धर दबोचा है। बुधवार देर रात डूंगरपुर रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल (RPF), चाइल्ड लाइन और सृष्टि सेवा संस्थान की संयुक्त टीम ने 22 नाबालिग बच्चों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया। ये सभी बच्चे 11 से 16 वर्ष की आयु के हैं और इन्हें गुजरात में कैटरिंग से जुड़े कामों में लगाने की तैयारी की जा रही थी।
कैसे खुली पूरी साजिश?
RPF को स्टेशन पर संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली थी। जानकारी मिलते ही विभागीय चाइल्ड लाइन के समन्वयक मेहुल शर्मा और उनकी टीम तुरंत हरकत में आई। मेहुल शर्मा के अनुसार, जैसे ही टीम प्लेटफॉर्म पर पहुंची, बच्चों को लेकर घूम रहे एजेंट भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन सुरक्षा टीम ने उन्हें मौके पर ही पकड़ लिया। जांच के दौरान एजेंटों ने टीम को भ्रमित करने का प्रयास किया और दावा किया कि वे बच्चों से परिचित नहीं हैं। जब बच्चों से बात की गई तो पहले तो उन्होंने एजेंटों को ‘अंकल’ बताया और पिकनिक पर जाने की बात कही, लेकिन अलग-अलग पूछताछ में पूरा सच सामने आ गया।
27 लोग पकड़े गए, 22 बच्चे निकले नाबालिग
संयुक्त टीम ने स्टेशन से कुल 27 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें 22 बच्चे नाबालिग पाए गए। बच्चों को बहला-फुसलाकर गुजरात के शहरों में बड़े आयोजनों, पार्टियों और होटलों में कैटरिंग का काम कराने की योजना बनाई गई थी। एजेंटों की झूठ की परतें तब खुलीं जब बच्चों ने बताया कि उन्हें गांवों से यह कहकर लाया गया था कि उन्हें अच्छी कमाई मिलेगी और “बड़ा काम” करवाया जाएगा।
गरीबी का दर्द और कैटरिंग के नाम पर शोषण
पूछताछ में तीनों एजेंटों—जयचंद, आशीष और संजय—की पहचान स्पष्ट हुई। आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे डूंगरपुर के दूरस्थ गांवों जैसे झोथरी, बेडसा, सीमलवाड़ा और मेवाड़ा से इन बच्चों को लालच देकर लाए थे। कैटरिंग जैसे कामों में बच्चों से लंबे समय तक खड़े रहकर भारी काम करवाया जाता है, जिसकी वजह से उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। यह केवल अवैध मजदूरी नहीं, बल्कि मासूमों का सीधा शोषण है।
बच्चों को सुरक्षित आश्रय भेजा गया, एजेंटों पर सख्त कानूनी शिकंजा
रेस्क्यू के बाद सभी बच्चों को बाल कल्याण समिति (CWC) के सामने प्रस्तुत किया गया। मामले की गंभीरता देखते हुए CWC ने 22 नाबालिगों को तुरंत चाइल्ड केयर होम भेजने का आदेश दिया, ताकि उनकी सही देखभाल, काउंसलिंग और पुनर्वास सुनिश्चित हो सके।
उधर, तीनों एजेंटों पर बाल श्रम एवं मानव तस्करी से संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी गई है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों पर अब शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी, ताकि भविष्य में कोई दलाल बच्चों को निशाना न बना सके।














