राजस्थान की राजधानी जयपुर की जीवनरेखा माने जाने वाले बीसलपुर डेम पर एक बार फिर खतरे की आहट सुनाई देने लगी है। बीते सप्ताह तक हुई भारी बारिश के कारण डेम में पानी की तीव्र आवक दर्ज की गई है, जिससे इसके आठवीं बार ओवरफ्लो होने की आशंका जताई जा रही है। वहीं, डेम के डाउनस्ट्रीम क्षेत्र यानी बनास नदी के बहाव वाले इलाकों में बसे लोगों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं।
लगातार निगरानी में बीसलपुर डेम, तकनीकी टीम तैनात
जल संसाधन विभाग ने बीसलपुर डेम पर 24 घंटे निगरानी के लिए एक कंट्रोल रूम स्थापित किया है। इस कंट्रोल रूम में सहायक और कनिष्ठ अभियंताओं के साथ-साथ लगभग एक दर्जन तकनीकी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। इनकी जिम्मेदारी हर एक घंटे में डेम में आने वाले पानी की मात्रा की गणना करना और संबंधित विभागों को तत्काल सूचना देना है।
बनास नदी किनारे गश्त तेज, सुरक्षा व्यवस्था मजबूत
बीसलपुर डेम के डाउनस्ट्रीम में बहने वाली बनास नदी के किनारे भी जल संसाधन विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। विभाग की टीमें अब नदी के बहाव क्षेत्र में नियमित गश्त कर रही हैं ताकि किसी भी संभावित जल कटाव या आपदा से पहले ही एहतियातन कदम उठाया जा सके। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं।
ओवरफ्लो की आशंका से लोग सतर्क, लेकिन मायूस
हालांकि वर्तमान में बारिश की रफ्तार थोड़ी कम जरूर हुई है, लेकिन डेम में जलभराव की गति पहले ही तेज हो चुकी है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यदि बारिश फिर से जोर पकड़ती है तो बीसलपुर डेम का आठवीं बार ओवरफ्लो होना तय है। इसके संकेत मिलने से जहां एक ओर प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी है, वहीं दूसरी ओर बनास किनारे बसे लोगों में दहशत और निराशा का माहौल है।
जयपुर की जल आपूर्ति पर निर्भर है बीसलपुर डेम
बीसलपुर डेम केवल एक जलाशय नहीं, बल्कि जयपुर, अजमेर और टोंक जैसे शहरों की मुख्य जल आपूर्ति का स्त्रोत है। ऐसे में यदि डेम ओवरफ्लो होता है तो जहां एक ओर आगामी महीनों के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकती है, वहीं दूसरी ओर यदि डाउनस्ट्रीम क्षेत्र में सुरक्षा चूक हुई तो गंभीर स्थिति बन सकती है।
बीसलपुर डेम की स्थिति पर बारीकी से निगरानी रखना न केवल जल संसाधन विभाग की प्राथमिकता है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद जरूरी है। हालांकि ओवरफ्लो की स्थिति संभावित रूप से सकारात्मक जल भंडारण का संकेत देती है, लेकिन इसके साथ आने वाले खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में अब पूरी उम्मीद इस बात पर टिकी है कि मानसून संतुलित बना रहे और प्रशासन सतर्कता में कोई चूक न करे।