प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 26 मई 2025 को गुजरात के दाहोद में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इस अवसर पर आयोजित एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश अब निराशा के अंधेरे से निकलकर विश्वास के उजाले में पहुंच चुका है, और उसी उजाले में हमारा तिरंगा गर्व से फहरा रहा है।
पीएम मोदी ने कहा, "आज का भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चला है। जो कुछ भी देश की तरक्की के लिए आवश्यक है, उसे हम अब भारत में ही निर्मित कर रहे हैं। आज हम सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी बना रहे हैं — चाहे वह बच्चों के खिलौने हों या सेना के हथियार। भारत अब रेल और मेट्रो से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीकों का उत्पादन स्वयं करता है और इन्हें अन्य देशों को निर्यात भी करता है।"
उन्होंने आगे बताया कि आज दाहोद में हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास हुआ है। "कुछ लोग हमेशा आलोचना करते हैं, कहते हैं कि चुनाव आते ही मोदी जी केवल नींव रखते हैं, कुछ बनता नहीं। लेकिन अब वही आलोचक देख सकते हैं कि तीन साल के भीतर इस फैक्ट्री में पहला इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव तैयार हो गया है, जिसे आज हरी झंडी दिखाई गई।"
हर क्षेत्र में भारत कर रहा है प्रगति: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने याद दिलाया कि आज ही के दिन, 26 मई 2014 को उन्होंने पहली बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने कहा, "गुजरात की धरती और आप सभी लोगों ने मुझे जो आशीर्वाद दिया है, उसी के कारण हमने देश में बड़े-बड़े निर्णय लिए और जनता की सेवा की। हर क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है।"
उन्होंने बताया कि गुजरात को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है — राज्य के 100 प्रतिशत रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण पूरा हो चुका है। इसके लिए उन्होंने गुजरात की जनता को बधाई दी।
"हमारी बहनों के सिंदूर को मिटाने वालों का अंत निश्चित": ऑपरेशन सिंदूर पर कड़ा संदेश
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी ने कहा, "सोचिए, जब पहलगाम में आतंकवादियों ने हमारी बहनों और बेटियों को निशाना बनाया, तो क्या भारत चुप रह सकता है? क्या मोदी चुप बैठ सकता है? नहीं।"
उन्होंने सख्त लहजे में कहा, "अगर कोई हमारी बहनों के सिंदूर को मिटाने की कोशिश करेगा, तो उसका मिटना भी तय है। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह हमारे भारतीय संस्कारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति थी।"