
वॉल स्ट्रीट जनरल में छपी अहमदाबाद प्लेन क्रैश को लेकर रिपोर्ट ने जैसे ही हलचल मचाई, तुरंत ही विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने भी अपनी प्रतिक्रिया साझा की है। ब्यूरो ने एक आधिकारिक पत्र जारी करते हुए कहा कि केवल प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना फिलहाल जल्दबाजी होगी।
AAIB ने अपने पत्र में यह भी जोड़ा कि एयर इंडिया की उस दुखद विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले यात्रियों, चालक दल और अन्य प्रभावित परिवारों की संवेदनशीलता को समझना और सम्मान देना बेहद जरूरी है—खासतौर पर तब, जब जांच अभी जारी है और कोई ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आया है।
AAIB ने अमेरिकी रिपोर्ट को लेकर क्या कहा?
अपने स्पष्टीकरण में AAIB ने लिखा कि जांच और प्रारंभिक रिपोर्ट का उद्देश्य सिर्फ यह बताना होता है कि 'क्या हुआ था'—ना कि 'क्यों हुआ'। इसलिए इस रिपोर्ट को भी उसी नजरिए से देखा जाना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि अंतिम निष्कर्ष जांच पूरी होने के बाद ही सार्वजनिक किए जाएंगे, जिसमें दुर्घटना के मूल कारण और जरूरी सिफारिशें शामिल होंगी।
ब्यूरो ने यह भी कहा कि इस दुखद हादसे में जान गंवाने वाले यात्रियों और जमीन पर मौजूद लोगों के परिवारों की भावनाओं का पूरा सम्मान किया जाना चाहिए। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन काम करने वाली इस संस्था ने साफ किया कि जांच से जुड़ी कोई भी सूचना तभी साझा की जाएगी जब वह सार्वजनिक हित में आवश्यक होगी।
AAIB ने यह भी स्पष्ट किया कि वे केवल उन्हीं तकनीकी या जनहित से जुड़ी जानकारियों को सार्वजनिक करेंगे जिनकी जानकारी देना जरूरी होगा। वहीं, मीडिया या सार्वजनिक मंचों पर की जा रही अटकलों को खारिज करते हुए उन्होंने आग्रह किया कि इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई भी जल्दबाजी में टिप्पणी करने से बचें।
अमेरिकी रिपोर्ट में क्या था उल्लेख?
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, कॉकपिट रिकॉर्डिंग में पहले अधिकारी क्लाइव कुंदर को कैप्टन सुमीत सभरवाल से यह सवाल करते हुए सुना गया था कि लिफ्टऑफ के तुरंत बाद उन्होंने इंजनों में ईंधन का प्रवाह क्यों बंद कर दिया। इस पर सभरवाल ने कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं किया।
AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में भी इसी तरह की बातचीत का जिक्र किया गया है, हालांकि जांचकर्ताओं ने यह नहीं बताया कि किस पायलट ने कौन सा बयान दिया था।
इस पूरे प्रकरण में एक बात बिल्कुल स्पष्ट है—इस स्तर पर किसी भी प्रकार का निष्कर्ष निकालना न केवल गैर-पेशेवर होगा, बल्कि इससे पीड़ित परिवारों की भावनाओं को भी ठेस पहुंच सकती है। इसलिए संयम और संवेदनशीलता दोनों की इस वक्त सख्त जरूरत है।














