
नई दिल्ली। देशभर में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा की शुरुआत के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने इसे केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपना संदेश साझा करते हुए लिखा कि यह पावन पर्व देश के हर नागरिक के जीवन में सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “महाप्रभु हमारे लिए केवल पूज्य नहीं हैं, वे हमारे जीवन की प्रेरणा हैं। जगन्नाथ हैं, तो जीवन है।” इस भावना से प्रेरित उनका संदेश एक वीडियो के रूप में भी सामने आया, जिसमें उन्होंने रथयात्रा की आध्यात्मिक महत्ता और इसकी वैश्विक पहचान पर प्रकाश डाला।
जनता के बीच जाते भगवान, जीवन का अनोखा प्रतीक
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान जगन्नाथ जब नगर भ्रमण पर निकलते हैं, तो वे केवल मूर्त रूप में नहीं, बल्कि आस्था के सजीव रूप में आमजन के बीच आते हैं। यह यात्रा दर्शाती है कि भारत में ईश्वर और जनता के बीच कोई दीवार नहीं, बल्कि सीधा संवाद है। रथ पर सवार महाप्रभु का नगर भ्रमण ‘जनता जनार्दन’ के दर्शन के लिए है — यह विश्वास भारत की सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना का आधार है।
पुरी से लेकर पूरे भारत तक रथयात्रा की गूंज
प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से ओडिशा के पुरी में निकाली जा रही रथयात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह आयोजन अपने आप में अद्वितीय है। “पुरी की रथयात्रा को देखने के लिए केवल भारत ही नहीं, दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं। यह यात्रा भारतीय संस्कृति की उस शक्ति को दर्शाती है जो विविधता में भी एकता और सह-अस्तित्व की प्रेरणा देती है।”
हर वर्ग, हर समाज की भागीदारी, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का स्वर
पीएम मोदी ने इस आयोजन को सामाजिक समरसता का उत्सव बताया। उन्होंने कहा, “जब एक ही रस्सी को थामे, राजा और रंक एक साथ भगवान का रथ खींचते हैं, तब वो दृश्य केवल धार्मिक नहीं, सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन जाता है। यही भारत की आत्मा है।”
कच्छी समाज को आषाढ़ी बीज की शुभकामनाएं भी दीं
प्रधानमंत्री ने रथयात्रा के साथ ही आषाढ़ी बीज के पर्व पर कच्छी समुदाय को भी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “कच्छ का यह विशेष पर्व सभी के जीवन में शांति और समृद्धि लेकर आए।” यह संदेश देश के सांस्कृतिक वैविध्य और हर समुदाय की परंपराओं के प्रति प्रधानमंत्री की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
धार्मिक परंपरा और आधुनिक राष्ट्र निर्माण का संगम
प्रधानमंत्री का यह संदेश केवल एक बधाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संकेत है कि भारत के लिए धार्मिक आयोजन केवल आध्यात्मिक नहीं, सामाजिक-सांस्कृतिक जागरूकता और एकता के भी वाहक हैं। रथयात्रा जैसे पर्व यह याद दिलाते हैं कि भारत की आत्मा उसकी लोक आस्थाओं में रची-बसी है, और जब सरकार और नेतृत्व इन आस्थाओं से संवाद करता है, तो एक जीवंत राष्ट्र की तस्वीर उभरती है।














