
भारतीय ऑलराउंडर और दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान अक्षर पटेल ने उस सोच पर सवाल उठाया है जिसमें अंग्रेजी बोलने को कप्तानी की योग्यता का प्रतीक मान लिया जाता है। उनका कहना है कि अक्सर लोगों के बीच यह धारणा बनी हुई है कि जो खिलाड़ी धाराप्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल सकता, वह नेतृत्व के काबिल नहीं होता — जबकि कप्तानी का असली पैमाना क्रिकेट की समझ, खिलाड़ियों से जुड़ाव और मैदान पर फैसले लेने की क्षमता होनी चाहिए।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शुक्रवार से शुरू होने वाले पहले टेस्ट से पहले इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में अक्षर पटेल ने अपनी बात खुलकर रखी। उन्होंने कहा कि आज भी क्रिकेट में यह मानसिकता गहरी बैठी है कि कप्तान वही अच्छा है जिसकी “पर्सनैलिटी प्रभावशाली” हो और जो “अंग्रेजी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सके।”
अक्षर ने मुस्कराते हुए कहा, “लोग कहते हैं—ओह, वह अंग्रेजी नहीं बोलता, तो कप्तानी कैसे करेगा? मैदान पर कैसे बात करेगा? लेकिन कप्तान का काम सिर्फ बोलना नहीं है, बल्कि टीम को समझना और हर खिलाड़ी से उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन निकलवाना है।”
उन्होंने आगे समझाया कि एक सच्चा कप्तान वही है जो अपनी टीम की ताकत और कमजोरी को पहचान सके।
“कप्तान को यह पता होना चाहिए कि किस खिलाड़ी से किस समय क्या काम लेना है। उसे यह समझना होता है कि कौन-सा गेंदबाज किस परिस्थिति में सबसे असरदार रहेगा। ये बातें किसी भाषा पर नहीं, बल्कि समझ और अनुभव पर निर्भर करती हैं।”
अक्षर पटेल ने यह भी कहा कि अब वक्त आ गया है जब क्रिकेट जगत को इस पुरानी सोच से बाहर निकलना चाहिए कि “कप्तान का करिश्मा उसकी अंग्रेजी से झलकता है।” उन्होंने बताया कि जब उन्होंने इस साल दिल्ली कैपिटल्स की कमान संभाली, तब उन्हें काफी सराहना मिली — और इससे यह साबित होता है कि नेतृत्व का असली मूल्य प्रदर्शन और सामूहिक सोच में है, न कि केवल भाषा की खूबसूरती में।
“मैंने जब कप्तानी की, तो कई लोगों ने कहा कि मैंने टीम को सही दिशा दी। इसका मतलब है कि अब लोग धीरे-धीरे इस बात को समझने लगे हैं कि कप्तान वही बेहतर है जो टीम के भीतर भरोसा और सामंजस्य पैदा कर सके, न कि जो सिर्फ कैमरे के सामने इंग्लिश में बोल ले।”
अक्षर ने अंत में कहा कि लोगों को अपनी सोच बदलनी चाहिए।
“हमें यह समझना होगा कि कप्तान की असली ताकत उसकी भाषा नहीं, बल्कि उसकी दृष्टि है। अगर कोई खिलाड़ी हिंदी या गुजराती में बेहतर सोचता है और अपनी टीम से वैसे जुड़ता है, तो उसमें किसी तरह की कमी नहीं है। कप्तानी का मतलब है — टीम को जोड़ना, दिशा देना और मैदान पर फैसले लेना, न कि भाषण देना।”














