जानिए रत्न धारण करने का महत्व
By: Kratika Thu, 11 May 2017 1:52:59
प्राचीन काल में स्त्री, हाथी दॉत, घोड़ा, सोना, चॉदी आदि की गणना भी रत्नों में की जाती थी। किन्तु वर्तमान काल में धातुओं तथा प्राणियों को अलग करके केवल बहुमूल्य पत्थरों को ही रत्न की श्रेणी में रखा गया है। रत्न मुख्यतः खनिज पदार्थ है। भूगर्भ में होने वाली विभिन्न प्रकार की रासायनिक क्रियाओं से धातुओं के संयोग से रत्नों का निर्माण होता है। विश्व के अनेक देशों में अनेक प्रकार के रत्नों की खानें पायी जाती है। वहॉ की खादानों से प्राप्त करके रत्नों का संस्कार किया जाता है तत्तपश्चात उसे बाजार में बिक्री हेतु उतारा जाता है।अब आइये जानते है किस व्यक्ति को कौन सा रत्न पहनना चाहिए...
माणिक्य-
इस रत्न को अंग्रेजी में रूबी कहते है। रंग में यह रक्त गुलाबी, सूर्ख, श्याम होता है। यह सूर्य रत्न कहलाता है।16 अगस्त से 15 सितम्बर के बीच में जन्म लेने वाले व्यक्ति इस रत्न को धारण करे।
हीरा-
डायमंड सफेद, गुलाबी, काला, नीला आदि का रंग का होता है। इसके चार
वर्ण भेद होते है।
14 मई से 14 जून के बीच में जन्म लेने वाले व्यक्ति इस रत्न को धारण करे।
पन्ना-
यह हरे रंग का नीम की पत्ती जैसा लोचदार पत्थर होता है। 16 सितम्बर से 16 अक्टूबर के बीच में जन्म लेने वाले व्यक्ति इस रत्न को धारण करे।
नीलम-
मोर की गर्दन जैसा नीला लोचदार व चमकदार उत्तम माना जाता है। 15 जनवरी से 13 फरवरी और 14 फरवरी से 13 मार्च के बीच में जन्म लेने वाले व्यक्ति इस रत्न को धारण करे
लहसुनिया-
इसे कैटस आई भी कहते है क्योंकि इसमें बिल्ली के माफिक सूत
पड़ा होता है। इसका रंग पिलास लिये तथा स्याही एंव सफेद लिए होता है।
मोती-
यह सफेद, काला, पीला, नीला एंव आसमानी रंग का होता है।16 जुलाई 15
अगस्त के बीच में जन्म लेने वाले व्यक्ति इस रत्न को धारण करे।
मूंगा-
कोरल सिन्दूरी लाल रंग का ( यह समुद्री जड़) होती है। फारसी में इसे मरंजान कहते है। 16 नवम्बर से 15 दिसम्बर के बीच में जन्म लेने वाले व्यक्ति इस रत्न को धारण करे।
पुखराज-
यह रत्न पीला व सफेद रंग होता है। 14 मार्च से 14 अप्रैल और 16 दिसम्बर से 14 जनवरी के बीच में जन्म लेने वाले व्यक्ति इस रत्न को धारण करे।
गोमेद-
लाल धुयें के रंग का होता है। रक्त, श्याम तथा पीत आभा युक्त उत्तम माना जाता है।