एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन विधेयक का तीखा विरोध किया, इसे मुसलमानों पर सीधा हमला करार दिया। शुक्रवार को एक जनसभा में उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक के जरिए सरकार मुस्लिम संपत्तियों को जब्त करना चाहती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मस्जिदों और दरगाहों को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य?
विधेयक के विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर ओवैसी ने काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब मंदिर बोर्ड में केवल हिंदू और गुरुद्वारा प्रबंधन में केवल सिख सदस्य होते हैं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य कैसे हो सकते हैं? उन्होंने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 26 और 29 का उल्लंघन करता है।
मुस्लिम संपत्तियों पर खतरा
ओवैसी ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के तहत जिलाधिकारी को यह अधिकार मिलेगा कि वह किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति मानने से इनकार कर सकता है, जिससे मुसलमानों का उस संपत्ति पर दावा समाप्त हो जाएगा। उन्होंने इसे सरकार के हिंदुत्व एजेंडा का हिस्सा बताया और कहा कि मुसलमान इस अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे।
बीजेपी सहयोगियों पर हमला
ओवैसी ने बीजेपी के सहयोगी दलों टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार, लोजपा-रामविलास के चिराग पासवान और आरएलडी नेता जयंत चौधरी पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि इन नेताओं ने बीजेपी को शरीयत पर हमला करने की अनुमति दी है और मुसलमान उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
विधेयक फिर से पेश किया जाएगा
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में स्पष्ट किया कि वक्फ संशोधन विधेयक को मौजूदा सत्र में फिर से पेश किया जाएगा। ओवैसी ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश है, जिसका जोरदार विरोध किया जाएगा।