पाकिस्तान सरकार की चादर लेकर अजमेर शरीफ पहुँचा जत्था, 10 जनवरी को होगी वापसी

By: Rajesh Bhagtani Tue, 07 Jan 2025 10:50:47

पाकिस्तान सरकार की चादर लेकर अजमेर शरीफ पहुँचा जत्था, 10 जनवरी को होगी वापसी

अजमेर। अजमेर में ख्वाजा साहब का 813वां उर्स चल रहा है। इसमें शिरकत करने और पाकिस्तान सरकार की ओर से चादर पेश करने के लिए जायरीनों का दल आया है। पाकिस्तानी जायरीन ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती गरीब नवाज के लिए स्पेशल तोहफे भी लेकर आए हैं। इनमें पाकिस्तान की मशहूर मिठाइयां और खास फूलों के गुलदस्ते शामिल हैं।

सोमवार को वाघा बॉर्डर (अमृतसर, पंजाब) से भारतीय सीमा में 89 जायरीनों ने प्रवेश किया था। अमृतसर से यह दल विशेष ट्रेन से सोमवार रात 2:56 बजे अजमेर पहुंचा। इनके साथ पाकिस्तान एंबेसी के 2 अधिकारी भी मौजूद हैं।

पाकिस्तानी जायरीन जब अजमेर रेलवे स्टेशन पर उतरे तो इनमें से कुछ ने दुआ के लिए हाथ उठाए और ख्वाजा की नगरी पहुंचने पर शुक्रिया अदा किया। एक सदस्य ने 'मेरे ख्वााजा पिया, दर पर बुलवा लिया ' गीत गाया। दल के लगभग सभी सदस्य चादर लाए हैं। यह चादर गरीब नवाज की मजार पर पेश की जाएगी।

अजमेर GRP CO रामअवतार ने बताया- पाकिस्तानी जायरीन का जत्था अजमेर पहुंचा है। जत्थे में 2 अधिकारियों समेत 91 जायरीन हैं। स्टेशन पर कड़ी सुरक्षा के बीच सभी को रिसीव कर सेंट्रल गर्ल्स स्कूल (अजमेर) भेजा गया। यहीं पर इनके ठहरने की व्यवस्था की गई है।

अमृतसर से अजमेर आने वाली इस विशेष ट्रेन में सामान्य पैसेंजर भी होते हैं। जायरीन के लिए खास बोगियां अलॉट होती हैं। उन बोगियों में सामान्य पैसेंजर की एंट्री नहीं होती है।

पाकिस्तान से आए जायरीन की सुरक्षा को लेकर प्रशासन, पुलिस महकमा, जीआरपी और सुरक्षा एजेंसी हाई अलर्ट रहे। ट्रेन आने से पहले CID, GRP ने अजमेर रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा इंतजाम की जांच की। रेलवे स्टेशन के चारों तरफ हथियारबंद जवान, कमांडो, CID और भारी पुलिस बल तैनात रहा।

काउंटिंग और चेकिंग के बाद सभी जायरीन को रोडवेज बसों के जरिए कड़ी सुरक्षा में अजमेर के चूड़ी बाजार स्थित सेंट्रल गर्ल्स स्कूल भेजा गया।

अजमेर से 10 जनवरी को लौटेंगे, 11 जनवरी को अटारी पहुंचेंगे

पाकिस्तानी जत्थे के लौटने के समय में बदलाव किया गया है। ये जायरीन पहले 10 जनवरी को अटारी बॉर्डर पहुंचने वाले थे। अब एक दिन की देरी होने के कारण ये 11 जनवरी को अटारी पहुंचेंगे। अजमेर से इन्हें लेकर स्पेशल ट्रेन 10 जनवरी दोपहर 3.30 बजे रवाना होगी।

सिर्फ अजमेर शहर का मिलता है वीजा

उर्स में आने वाले पाकिस्तानी जायरीन को सिर्फ अजमेर शहर का वीजा दिया जाता है। इन्हें शहर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती। यह वीजा का उल्लंघन माना जाता है। भारतीय खुफिया एजेंसियां और पुलिस इन पर निगरानी रखती है। जियारत के बाद ये जायरीन अजमेर के बाजारों में जमकर खरीदारी भी करते हैं।

जायरीन को अजमेर में पुरानी मंडी स्थित सेंट्रल गर्ल्स स्कूल में ठहराया गया है। ठहरने और जियारत करने संबंधी व्यवस्थाओं के लिए अजमेर विकास प्राधिकरण के उपायुक्त भरतराज गुर्जर को सम्पर्क अधिकारी नियुक्त किया गया है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एजाज अहमद को अतिरिक्त सम्पर्क अधिकारी एवं तहसीलदार ओम सिंह लखावत को सहायक सम्पर्क अधिकारी नियुक्त किया गया है।

पाकिस्तानी जायरीन के अजमेर आगमन से निर्धारित 24 घंटे की अवधि में सभी जायरीन के सी-फॉर्म ऑनलाइन सबमिट करने के लिए एनआईसी के संयुक्त निदेशक तेजा सिंह रावत को प्रभारी एवं भू-अभिलेख निरीक्षक राजवीर सिंह राजस्व अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान का सहायक प्रभारी नियुक्त किया गया है।

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पाक में निकाली जाती है लॉटरी

पाकिस्तान से अजमेर उर्स में आने के लिए पाकिस्तान सरकार लॉटरी निकालती है। ऐसे में हर साल अलग-अलग जायरीन आते हैं। इनकी लिस्ट भारत सरकार को भेजी जाती है। भारत सरकार की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह कितने जायरीन को आने की परमिशन देती है।

इस साल पहली बार है जब सबसे कम जायरीन का जत्था अजमेर आया है। ये जायरीन खुद के खर्चे पर यात्रा करते हैं। हर बार इन्हें अजमेर के चूड़ी बाजार में ठहराया जाता है। यहां जायरीन के लिए सारी व्यवस्थाएं अजमेर जिला प्रशासन करता है।

पाकिस्तान सरकार की चादर पेश करने के लिए पाकिस्तानी जायरीन के साथ मिलकर जिला प्रशासन एक तारीख तय करता है। उस तारीख पर ये जायरीन जुलूस के रूप में दरगाह पहुंचते हैं और नाचते गाते चादर पेश करने की रस्म निभाते हैं।

50 साल से आ रहे जायरीन


पाकिस्तान से जायरीन का जत्था 50 साल से ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में शिरकत करने अजमेर आ रहा है। 14 सितंबर 1974 को भारत-पाकिस्तान के बीच धार्मिक वीजा को लेकर समझौता हुआ था। ऐसे में दोनों देशों के लोग एक दूसरे मुल्क में धार्मिक यात्राएं करते रहते हैं।

इन 50 साल में पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के समय, जवान का सिर काटकर ले जाने की घटना, सीमा पर तनाव और कोरोना काल के कारण अब तक 4 बार ऐसे हालात बने कि पाकिस्तान से जायरीन का जत्था नहीं आया।

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