कतर: मौत की सजा पाए 8 भारतीयों के परिवारवालों से मिले विदेश मंत्री, बचाने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी सरकार
By: Rajesh Bhagtani Mon, 30 Oct 2023 1:20:00
नई दिल्ली। कतर में हिरासत में लिए गये आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों के परिजनों से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को मुलाकात की। उन्होंने परिजनों को भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी सुरक्षित रिहाई के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। परिवार की चिंता और उनके दर्द को सरकार समझती है।
सरकार भारतीयों के रिहाई के लिए सभी प्रयास केरगी
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के माध्यम से बताया, "आज सुबह कतर में हिरासत में लिए गए 8 भारतीयों के परिवारों से मुलाकात की। इस बात पर जोर दिया कि सरकार मामले को सर्वोच्च महत्व देती है। परिवारों की चिंताओं और दर्द को साझा किया। परिवारजनों से बातचीत के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि सरकार उनकी रिहाई के लिए सभी प्रयास करना जारी रखेगी। उस संबंध में परिवारों के साथ निकटता से समन्वय करेंगे।"
सूत्रों का कहना है कि कतर की अदालत से भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद, भारत फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करने समेत विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘व्यक्तिगत हस्तक्षेप’ का अनुरोध
उधर, मौत की सज़ा पाए आठ लोगों में शामिल कमांडर पूर्णेंदु तिवारी (रिटायर्ड) की बहन मीतू भार्गव (54) ने रविवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “कतर में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों पर कैसे मुकदमा चलाया गया, इसमें पारदर्शिता की कमी ने न्यायिक प्रक्रिया में उनके परिवारों के विश्वास को कम कर दिया है। उन्होंने समय की कमी का हवाला देते हुए सभी आठ भारतीयों को वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘व्यक्तिगत हस्तक्षेप’ की मांग की।”
भार्गव ने फोन पर कहा, “गुरुवार को कतरी अदालत के फैसले की खबर आने के बाद उनके लिए सबसे कठिन काम अपनी 85 वर्षीय मां, जो घर में एकमात्र जीवित संरक्षक हैं, को अपने भाई की मौत की सजा के बारे में सूचित करना था। वह बहुत परेशान हैं। वह एक दिल की मरीज हैं।”
ग्वालियर में रहने वाली भार्गव उन आठ भारतीयों की पहली रिश्तेदार थीं जो रिहाई के लिए केंद्र से मदद मांगने के लिए पिछले साल अक्टूबर में आगे आई थीं। एक साल बाद उन्हें लगता है कि अब प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत तौर पर हस्तक्षेप करने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा, “हम पहले रक्षा मंत्री से मिल चुके हैं। पिछले साल संसद में जयशंकर जी ने कहा था कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और ये लोग हमारी प्राथमिकता हैं। लेकिन अब किसी और के हस्तक्षेप का समय नहीं है… हमारे पास ज्यादा समय नहीं बचा है। हम अपने आठ दिग्गजों को वापस लाने के लिए अपने माननीय प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप का अनुरोध और निवेदन करते हैं। हम किसी और के बारे में नहीं सोच सकते।”
Met this morning with the families of the 8 Indians detained in Qatar.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 30, 2023
Stressed that Government attaches the highest importance to the case. Fully share the concerns and pain of the families.
Underlined that Government will continue to make all efforts to secure their release.…
आठ भारतीय नागरिकों को अगस्त 2022 में कथित जासूसी के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने फैसले को “बेहद चौंकाने वाला” बताया और कहा कि वह मामले में सभी “कानूनी विकल्प” तलाशेगा।
कतर में 8 नौसेना दिग्गजों को मौत की सजा मिलने पर भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा, “सरकार की ओर से यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि हम कानूनी प्रक्रिया अपनाएं और अपने पूर्व कर्मियों को सुरक्षित वापस लाएं।”
कूटनीतिक या राजनीतिक तौर पर भी सुलझाने की तैयारी
सूत्रों ने कहा कि मुद्दे का समाधान खोजने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पता चला है कि भारत को कतर की अदालत के फैसले की प्रति अभी तक नहीं मिली है। अदालत के फैसले पर कतर की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है। मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि फैसले की गहन जांच के बाद नयी दिल्ली अपने विकल्पों पर आगे बढ़ेगी। सूत्रों ने बताया कि भारत मामले को कूटनीतिक या राजनीतिक तौर पर भी सुलझाने पर विचार कर सकता है।
इन्हें मिली है सजा-ए-मौत
कतर की अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद विदेश मंत्रालय ने इस फैसले पर हैरानी और एतराज जताया था। मंत्रालय ने कहा कि वो इस फैसले से स्तब्द हैं और कानूनी विकल्प तलाश रही है। बता दें कि पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं।
ये सभी लोग अपनी रिटायरमेंट के बाद दोहा की एक कंपनी में काम करते थे, जिसके काम से वो कतर गए थे। इन भारतीयों पर इजरायल के लिए कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट की गुप्त जानकारी चुराने का आरोप लगा है।