महाराष्ट्र में NCP के प्रदर्शन को लेकर गरमाई राजनीति, भुजबल ने कहा UP में भाजपा का क्या हुआ
By: Rajesh Bhagtani Fri, 14 June 2024 4:05:11
मुम्बई। आने वाले कुछ महीनों में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों के लिए भाजपा अन्य पार्टियों के साथ चुनावी गठबंधन को लेकर मंथन कर रही है। कहा जा रहा है कि भाजपा में इस बात को लेकर कंफ्यूज है कि वह विधानसभा चुनाव अपने अकेले दम पर लड़े या फिर शिव सेना या एनसीपी या फिर दोनों को साथ रखते हुए लड़े।
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे एनडीए के लिहाज से बेहद ही निराशाजनक रहे हैं। भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन केवल 17 सीटें ही जीत पाया था। एनडीए को लगी सियासी चपत को लेकर लगातार आरएसएस और कुछ दक्षिणपंथी संगठन NCP पर सारा ठीकरा फोड़ रहे हैं। इस घटनाक्रम के बीच एनसीपी नेता और कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने सफाई दी। उन्होंने गठबंधन में कम सीटें मिलने पर नाराजगी जताने के साथ ही भाजपा के अन्य राज्यों में प्रदर्शन का भी उल्लेख किया है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में एनसीपी ने चार सीटों पर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था लेकिन पार्टी को एक पर ही जीत मिली थी। लोकसभा चुनाव में जीतकर केवल एनसीपी नेता सुनील तटकरे ही पहुंचे है। पार्टी के इस प्रदर्शन को लेकर दावा किया जा रहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना को एनसीपी के कारण नुकसान हुआ है, क्योंकि भाजपा-शिवसेना की विचारधारा एक है और एनसीपी अलग है।
एनसीपी के प्रदर्शन को लेकर उठते सवालों के बीच मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि हमें लोकसभा चुनाव के लिए 48 सीटों में से केवल 4 सीटें दी गईं थीं, उन 4 सीटों में से 2 हमसे छीन ली गईं। इसलिए, इन 2 सीटों, रायगढ़ और बारामती में से हमने 1 सीट जीती। अब कोई यह कैसे कह सकता है कि हमने 48 सीटों पर चुनाव लड़ा, हमें केवल 2 सीटें मिलीं।
छगन भुजबल ने इशारों में ही भाजपा के प्रदर्शन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भाजपा अन्य राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश में भी बड़े नुकसान में रही है। किसी ने नहीं सोचा था कि भाजपा को उत्तर प्रदेश में इतनी कम सीटें मिलेंगी। इसलिए, अजित पवार गुट को दोष देना सही नहीं है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव भी होने
हैं, जिसके चलते राज्य में काफी उठापटक की स्थिति है। एनडीए को मिली शिकस्त
के लिए एनसीपी को जिम्मेदार बताया जा रहा है। आरएसएस से जुड़े रहे विचारक
रतन शारदा ने हाल ही में एक लेख में एनसीपी के साथ भाजपा-शिवसेना के गठबंधन
पर सवाल उठाए थे, जिसके चलते उन कार्यकर्ताओं के लिए एनसीपी के लिए प्रचार
करना मुश्किल हो रहा था, जिनके खिलाफ लंबे वक्त तक भाजपा आरएसएस
कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन करते थे।
ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति
विधानसभा चुनाव से पहले काफी गर्म हो गई है और यह दावा किया जा रहा है कि
अभी भी भाजपा कन्फ्यूज हैं कि उसे विधानसभा चुनाव में शिवसेना और एनसीपी
दोनों को ही साथ रखना है, शिवसेना के साथ ही चुनाव लड़ना है।