'वन नेशन वन इलेक्शन': जानें कौन सी पार्टियां समर्थन में और कौन कर रही हैं विरोध

By: Sandeep Gupta Tue, 17 Dec 2024 3:11:17

'वन नेशन वन इलेक्शन': जानें कौन सी पार्टियां समर्थन में और कौन कर रही हैं विरोध

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के लिए ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को संसद में पेश किया है। मोदी सरकार द्वारा पेश इस विधेयक को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस हो रही है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन सी पार्टियां इस विधेयक का समर्थन कर रही हैं और कौन इसके खिलाफ हैं।

"वन नेशन वन इलेक्शन" का विरोध करने वाली पार्टियां


कांग्रेस: विधेयक की सबसे बड़ी विरोधी, इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रही है।
समाजवादी पार्टी (सपा): इसे असंवैधानिक करार देती है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी): ममता बनर्जी की पार्टी ने इसे संघीय ढांचे पर हमला बताया।
आम आदमी पार्टी (आप): इसे जनता की आवाज दबाने की कोशिश मानती है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद): विधेयक को अस्वीकार्य करार दिया।
एआईएमआईएम: असदुद्दीन ओवैसी ने इसे केंद्र का वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास बताया।
सीपीआई (एम): इसे संविधान के खिलाफ मानती है।
एनसीपी (शरद पवार गुट): शरद पवार ने इसे व्यावहारिक तौर पर असंभव बताया।

"वन नेशन वन इलेक्शन" का समर्थन करने वाली पार्टियां

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): विधेयक के मुख्य प्रणेता और समर्थक।
शिवसेना (शिंदे गुट): विधेयक को समय की आवश्यकता बताती है।
जनता दल (यूनाइटेड): इसे देशहित में मानती है।
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी): विधेयक के पक्ष में।
अपना दल: भाजपा के गठबंधन सहयोगी।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास गुट): इसे चुनावी खर्च कम करने का जरिया मानती है।
एनसीपी (अजीत पवार गुट): विधेयक को विकास के लिए जरूरी बताती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक को मंजूरी दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया था। फिलहाल स्थानीय निकाय चुनावों को इस दायरे से बाहर रखा गया है। भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में इस विचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।

संविधान में क्या बदलाव होंगे?

अनुच्छेद 82ए में संशोधन: लोकसभा और विधानसभा के कार्यकाल की नई तिथियां।
अनुच्छेद 83(2): लोकसभा की अवधि और इसे भंग करने के प्रावधान।
अनुच्छेद 327 में संशोधन: चुनावों को "एक साथ" कराने की व्यवस्था।
अनुच्छेद 82ए (2): राज्यों की विधानसभाओं को समन्वित करने के लिए।

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