राजस्थान में टूटा NDA, तीन पार्टियों ने खड़े किए विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार, भाजपा के साथ सीटों को लेकर नहीं बना तालमेल
By: Rajesh Bhagtani Mon, 30 Oct 2023 1:59:15
जयपुर। राजस्थान में एनडीए गठबंधन में शामिल जेजेपी, एलजेपी और शिवसेना शिंदे गुट ने उम्मीदवार खड़े कर दिए है। तीनों दलों की भाजपा के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत नहीं बन पाई है। भाजपा ने तीनों दलों के लिए सीट छोड़ने से साफ इंकार कर दिया है। ऐसे में जेजेपी ने पहली लिस्ट में 6 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। जेजेपी हरियाणा में भाजपा के साथ सरकार में है। जबकि चिराग पासवान की एलजेपी का बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवार राजेंद्र सिंह गुढ़ा के सामने भाजपा ने उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि तीनों दल भले ही भाजपा को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, लेकिन कई ऐसी सीटें हैं जहां ये दल हार-जीत की भूमिका तय करते हैं ।
जेजेपी का जाट इलाकों में प्रभाव
राजस्थान में जाट बाहुल्य इलाकों में हरियाणा की जेजेपी का खासा प्रभाव माना जाता है। देवीलाल सीकर से चुनाव लड़ चुके हैं। जबकि दल के अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला दांतारामगढ़ से विधायक भी रह चुके हैं। जेजेपी ने पहली लिस्ट जारी कर दी है। जिसमें 6 उम्मीदवार खड़े किए हैं। पार्टी ने कुल 30 उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा की है। ऐसे में सियासी जानकारों का कहना है कि जेजेपी सीटें जीत सकती है। जबकि आधा दर्जन सीटों पर सीधे तौर पर भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती है। फतेहपुर से जेजेपी उम्मीदवार नंदकिशोर महरिया और दांतारामगढ़ से उम्मीदवार रीटा सिंह मजबूत स्थिति में है। भाजपा और जननायक पार्टी का हरियाणा में गठबंधन है। दोनों दलों ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए गठबंधन किया है। जबकि राजस्थान में दोनों ही दल एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान जेजेपी से ही हो सकता है। चर्चा यह भी है कि भाजपा कुछ सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ सकती है। हालांकि, भाजपा अभी तक 124 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।
कांग्रेस-भाजपा में जारी है खींचतान
राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होगा। कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर है। भाजपा को वसुंधरा राजे की नाराजगी भारी पड़ सकती है। वहीं कांग्रेस को सत्ता विरोधी
लहर का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा पहली बार बिना सीएम के चेहरे के चुनावी मैदान में है। जबकि इससे पहले भाजपा दो बार वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़ी थी औऱ शानदार जीत हासिल की थी। भाजपा ने इस बार वसुंधरा राजे को सीएम फेस घोषित नहीं किया है। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा में कांटे का मुकाबला होने के आसार है। भाजपा के नेता सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस सरकार रिपीट होने का दावा कर रही है।