चुनावी स्वार्थ के लिए 'बजरंगबली और अली' का विवाद पैदा करने वाली ताकतों से सावधान रहें : मायावती
By: Pinki Sat, 13 Apr 2019 1:05:57
लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को चेताया कि चुनावी स्वार्थ के लिए 'बजरंगबली और अली' का विवाद पैदा करने वाली ताकतों से सावधान रहने की आवश्यकता है। देश और उत्तर प्रदेश वासियों को रामनवमी की शुभकामनाएं देते हुए मायावती ने कहा 'रामनवमी की देश व प्रदेशवासियों को बधाई व शुभकामनायें तथा उनके जीवन में सुख व शान्ति की कुदरत से प्रार्थना।' उन्होंने साथ ही कहा, 'ऐसे समय में जब लोग श्रीराम के आदर्शों का स्मरण कर रहे हैं, तब चुनावी स्वार्थ हेतु बजरंग बली व अली का विवाद व टकराव पैदा करने वाली सत्ताधारी ताकतों से सावधान रहना है।' मायावती का इशारा सीएम आदित्यनाथ की ओर था। आदित्यनाथ को मेरठ में एक रैली को संबोधित करते हुए उनकी “अली” और “बजरंग बली” वाली टिप्पणी के लिए चुनाव अयोग की ओर से नोटिस मिला था। सीएम इस नोटिस का जवाब दे चुके हैं। बता दें कि आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनावों में इस्लाम में श्रद्धेय ”अली” और हिंदू देवता बजरंग बली के बीच मुकाबले की बात कही थी। आदित्यनाथ ने कहा था, “अगर कांग्रेस, सपा, बसपा को ”अली” पर विश्वास है तो हमें ”बजरंग बली” पर विश्वास है।” उनके इस बयान को लेकर विपक्ष ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा था।
बसपा सुप्रीमो ने जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा, 'जलियांवाला बाग़ त्रासदी के आज 100 वर्ष पूरे हो गए । आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित एवं उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना।' उन्होंने कहा, 'काश, भारत सरकार इस अति-दुःखद घटना के लिए ब्रिटिश सरकार से माफी मंगवाकर देश को संतोष दिलाने में सफल हो पाती।'
रामनवमी की देश व प्रदेशवासियों को बधाई व शुभकामनायें तथा उनके जीवन में सुख व शान्ति की कुदरत से प्रार्थना। ऐसे समय में जब लोग श्रीराम के आदर्शों का स्मरण कर रहे हैं तब चुनावी स्वार्थ हेतु बजरंग बली व अली का विवाद व टकराव पैदा करने वाली सत्ताधारी ताकतों से सावधान रहना है।
— Mayawati (@Mayawati) April 13, 2019
क्या है जलियांवाला बाग हत्याकांड
सौ साल पहले 13 अप्रैल 1819 की बात है। उस दिन बैसाखी थी। एक बाग़ में करीब 15 से बीस हज़ार हिंदुस्तानी इकट्ठा थे। सब बेहद शांति के साथ सभा कर रहे थे। ये सभा पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी और रोलेट एक्ट के विरोध में रखी गई थी। पर इससे दो दिन पहले अमृतसर और पंजाब में ऐसा कुछ हुआ था, जिससे ब्रिटिश सरकार गुस्से में थी।
इसी गुस्से में ब्रिटिश सरकार ने अपने जल्लाद अफसर जनरल डायर को अमृतसर भेज दिय़ा। जनरल डायर 90 सैनिकों को लेकर शाम करीब चार बजे जलियांवाला बाग पहुंचता है। डायर ने सभा कर रहे लोगों पर गोली चलवा दी।
बताते हैं कि 120 लाशें तो सिर्फ उस कुएं से बाहर निकाली गई थी जिस कुएं में लोग जान बचाने के लिए कूदे थे। कहते ये भी हैं कि करीब दस मिनट में 1650 राउंड गोलियां चलाने के बाद जनरल डायर इसलिए रुक गया था क्योंकि उसके सैनिकों की गोलियां खत्म हो गई थीं। अंग्रेजों के आंकड़े बताते हैं कि जलियांवाला बाग कांड में 379 लोग मारे गए थे।
जबकि हकीकत ये है कि उस दिन एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और करीब दो हजार गोलियों से जख्मी हुए थे। इस नरसंहार के बाद पूरे देश में ऐसा गुस्सा फूटा कि ब्रिटिश हुकूमत की जड़े हिल गईं, लेकिन इतना सब होने के बाद भी ब्रिटिश हुकूमत ने आजतक इस नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगी है।
21 साल बाद उधम सिंह ने लंदन में जनरल डायर को मारकर लिया था का बदला
जब यह हत्याकांड हुआ तब शहीद उधम सिंह की उम्र 20 साल थी। शहीद उधम सिंह ने कसम खा ली थी इस हत्याकांड के जिम्मेदार लोगों से बदला लेने की। जनरल डायर को तो उनकी बीमारी के चलते 1927 में मौत हो गई लेकिन माइकल ओ डायर अब तक जिंदा था। वो रिटायर होने के बाद हिंदुस्तान छोड़कर लंदन में बस गया था। इस बात से अंजान कि उसकी मौत उसके पीछे-पीछे आ रही है। माइकल ओ डायर से बदला लेने के लिए शहीद उधम सिंह 1934 में लंदन पहुंचे। वहां उन्होंने एक कार और एक रिवाल्वर खरीदी तथा सही मौके का इंतजार करने लगे और ये मौका आया 13 मार्च 1940 को, जलियांवाला बाग कांड के 21 साल बाद। 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक बैठक चल रही थी। जहां वो भी पहुंचे और उनके साथ एक किताब भी थी। इस किताब में पन्नों को काटकर एक बंदूक रखी हुई थी। इस बैठक के खत्म होने पर उधम सिंह ने किताब से बंदूक निकाली और माइकल ओ डायर पर फायर कर दिया। माइकल ओ डायर को दो गोलियां लगीं और पंजाब के इस पूर्व गवर्नर की मौके पर ही मौत हो गई। अपनी 21 साल पुरानी कसम पूरी करने के बाद उधम सिंह ने भागने की कोई कोशिश नहीं की। उधम सिंह को अंग्रेज पुलिस गिऱफ्तार कर लिया लेकिन उस वक्त भी आज़ादी का ये मतवाला मुस्कुरा रहा था। लंदन की अदालत में भी शहीद उधम सिंह ने भारत माता का पूरा मान रखा और सर तान कर कहा, 'मैंने माइकल ओ डायर को इसलिए मारा क्योंकि वो इसी लायक था। वो मेरे वतन के हजारों लोगों की मौत का दोषी था। वो हमारे लोगों को कुचलना चाहता था और मैंने उसे ही कुचल दिया। पूरे 21 साल से मैं इस दिन का इंतज़ार कर रहा था। मैंने जो किया मुझे उस पर गर्व है। मुझे मौत का कोई खौफ नहीं क्योंकि मैं अपने वतन के लिए बलिदान दे रहा हूं।' 31 जुलाई 1940 को पेंटविले जेल में उधम सिंह को हंसते-हंसते फांसी को चूम लिया। जब तक हिंदुस्तान रहेगा अमर शहीद उधम सिंह की इस वीरगाथा को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।