भारत अब गूगल-माइक्रोसॉफ्ट पर नहीं रहेगा डिपेंड, विकसित करेगा खुद का ब्राउजर
By: Nupur Rawat Thu, 20 Mar 2025 11:32:30
भारत में जल्द ही अपना खुद का वेब ब्राउज़र विकसित करने की तैयारी जोरों पर है। अब तक गूगल क्रोम, माइक्रोसॉफ्ट एज और मोज़िला फायरफॉक्स जैसे ब्राउज़र का दबदबा रहा है, लेकिन भारत जैसे 140 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए स्वदेशी ब्राउज़र बनाना एक बड़ा कदम होगा। अगर यह सफल होता है, तो गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। भारत सरकार ने आईटी कंपनियों और स्टार्टअप्स को अपना ब्राउज़र विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके तहत एक विशेष प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें देशभर से कई कंपनियों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता में तीन कंपनियों को शीर्ष स्थान मिला और इन्हें 'बेस्ट ब्राउज़र मेकर' का अवॉर्ड दिया गया। आइए जानते हैं वे कौन-सी तीन कंपनियां हैं जिन्होंने इस सूची में जगह बनाई।
58 कंपनियों में से 3 बनीं विजेता
भारत का आईटी सेक्टर 282 बिलियन डॉलर से अधिक के राजस्व के साथ वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति रखता है। अब तक यह सेक्टर मुख्य रूप से सेवाओं पर केंद्रित रहा है, लेकिन सरकार अब सॉफ्टवेयर उत्पादों के विकास को भी बढ़ावा दे रही है। इसका उद्देश्य भारत को एक ‘प्रोडक्ट नेशन’ के रूप में स्थापित करना है। इसी दिशा में, सरकार ने स्वदेशी वेब ब्राउज़र विकसित करने की एक बड़ी चुनौती पेश की, जिसमें स्टार्टअप्स, शिक्षाविदों, छात्रों और शोधकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस प्रतियोगिता में कुल 58 एंट्रीज प्राप्त हुईं। गहन मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद, तीन कंपनियों को विजेता के रूप में शॉर्टलिस्ट किया गया।
ब्राउजर चैलेंज के विजेताओं को मिला पुरस्कार
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वेब ब्राउज़र चुनौती के विजेताओं की घोषणा की। इस प्रतियोगिता में पहला स्थान टीम ज़ोहो ने हासिल किया, जिसे पुरस्कार स्वरूप 1 करोड़ रुपये की इनामी राशि दी गई। टीम पिंग को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ और 75 लाख रुपये का इनाम मिला। वहीं, तीसरे स्थान पर रही टीम अजना, जिसे 50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी गई। मंत्री ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह देखकर गर्व होता है कि विजेता टीमें टियर-2 और टियर-3 शहरों से आ रही हैं। उन्होंने कहा कि ब्राउज़र इंटरनेट का प्रवेश द्वार है, जिससे सर्फिंग, ईमेल, ई-ऑफिस और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन जैसी सेवाएं निर्भर करती हैं। इस इनोवेशन के साथ भारत स्वदेशी तकनीक आधारित संपूर्ण डिजिटल स्टैक विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है।
भारत के स्वदेशी ब्राउजर के अनगिनत फायदे
अगर भारत का अपना वेब ब्राउज़र होगा, तो इसके कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे। सबसे बड़ा फायदा डेटा सिक्योरिटी का होगा, क्योंकि उपयोगकर्ताओं की जानकारी पूरी तरह देश में ही संरक्षित रहेगी और सरकार की निगरानी में होगी। इसके अलावा, गोपनीयता (Privacy) भी एक अहम पहलू होगा, जो डेटा सुरक्षा अधिनियम (Data Protection Act) के अनुरूप काम करेगा। इसका मतलब यह है कि भारतीय नागरिकों का डेटा देश के बाहर लीक नहीं होगा, जिससे साइबर सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। यह स्वदेशी ब्राउज़र iOS, Windows और Android जैसे प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ पूरी तरह संगत होगा। इस पहल से भारत तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाएगा, जिससे देश को डिजिटल क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी।