राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित हुआ मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें एवं पदावधि) विधेयक
By: Rajesh Bhagtani Wed, 13 Dec 2023 11:15:55
नई दिल्ली। विपक्षी दलों और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों के विरोध के बाद अब मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ईसी) का दर्जा सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर ही रहेगा। साथ ही उनके खिलाफ चुनाव आयोग में रहने के दौरान किए गए किसी काम के लिए मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकेगा। सरकार द्वारा लाए गए इन संशोधनों के साथ मंगलवार को राज्यसभा ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें एवं पदावधि) विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक मुख्य रूप से सीईसी और ईसी की चयन की प्रक्रिया के लिए लाया गया है। प्रधानमंत्री अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति सीईसी और ईसी का चयन करेगी।
इस विधेयक का विपक्षी दलों ने किया था विरोध
सीईसी और ईसी को मौजूदा व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट के जजों के समकक्ष ही दर्जा प्राप्त है लेकिन अगस्त में राज्यसभा में पेश किए संशोधन विधेयक में इनका दर्जा कैबिनेट सचिव के समकक्ष लाने का प्रस्ताव किया गया था। इसका विपक्षी दलों और कुछ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने विरोध किया था। उनकी आपत्ति थी कि दर्जा घटाना चुनाव आयोग जैसी संस्था की स्वतंत्रता के खिलाफ होगा। राज्यसभा में मंगलवार को संशोधित रूप में विधेयक लाया गया जिसमें सीईसी और ईसी का दर्जा सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर बरकरार रखा गया।
इस विधेयक की खास बातें
- सीईसी और ईसी की नियुक्ति के लिए कानून मंत्री की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय सर्च कमेटी, इसमें दो सचिव शामिल।
- सर्च कमेटी चयन समिति के लिए पांच नामों का पैनल तैयार करेगी।
- पीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय चयन समिति में लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता और पीएम द्वारा नामित एक मंत्री।
- सीईसी और ईसी का दर्जा सुप्रीम कोर्ट जज के बराबर।
- सीईसी और ईसी पर चुनाव आयाेग के कामकाज के लिए नहीं चल सकेगा मुकदमा।
- सीईसी को सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह की प्रक्रिया से हटाया जा सकेगा। ईसी को सीईसी की सिफारिश पर हटाया जा सकेगा।