बासमती चावल के नाम पर अब दुकानदार नहीं लगा सकेंगे चूना, FSSAI ने पहली बार बताई असली चावल की पहचान

By: Priyanka Maheshwari Fri, 13 Jan 2023 2:02:06

बासमती चावल के नाम पर अब दुकानदार नहीं लगा सकेंगे चूना, FSSAI ने पहली बार बताई असली चावल की पहचान

भारत में बासमती चावल का क्रेज बहुत ज्‍यादा है और यह मध्‍य वर्गीय परिवारों के स्‍टैंडर्ड का भी हिस्‍सा है। भारत में हर साल करीब 90 लाख टन बासमती चावल का उत्‍पादन होता है। लेकिन अक्‍सर हम असली बासमती चावल की पहचान नहीं कर पाते जिसकी वजह से दुकानदार हमें चूना लगा जाते हैं। अब ऐसा नहीं होगा, क्‍योंकि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने उपभोक्‍ताओं को असली बासमती चावल की पहचान करने के लिए खास तरीका बताया है। FSSAI ने पहली बार बासमती का स्‍टैंडर्ड बताया है। अधिकारियों का कहना है कि देश में बासमती चावल के साथ मिलावट के सबसे ज्‍यादा मामले सामने आते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए FSSAI क्‍वालिटी पैरामीटर बना रहा है। सबसे ज्‍यादा मामले गैर बासमती चावल की मिलावट को लेकर आते हैं। चूंकि, इसकी कीमत गैर बासमती से ज्‍यादा होती है लिहाजा दुकानदार इसमें मिलावट करके ऊंची कीमतों पर बेच देते हैं।

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FSSAI ने देश में बिकने वाले सभी तरह के बासमती चावल जैसे ब्राउन बासमती चावल, मिल्‍ड बासमती चावल, उसना भूरा बासमती और मिल्‍ड उसना बासमती चावल के रूप-रंग और सुगंध को लेकर एक मानक तैयार किए हैं, जो 1 अगस्‍त 2023 से लागू होंगे। FSSAI ने बताया है कि बासमती चावल में प्राकृतिक सुगंध और गुण होना चाहिए। इसके नेचुरल स्‍वाद से छेड़छाड़ बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी। साथ ही इसमें कोई कृत्रिम रंग या सुगंध के साथ पॉलिश वाले तत्‍व नहीं होने चाहिए। मानकों में चावल के आकार, गुणवत्‍ता और पहचान भी निर्धारित की गई है। इसके अलावा चावल के दाने का आकार, पकाने के बाद उसकी लंबाई, नमी की अधिकतम सीमा, इमाइलोज की मात्रा, यूरिक एसिड और इसमें टूटे चावल की मिलावट का भी जिक्र किया गया है।

अधिकारियों का कहना है कि FSSAI ने नियामकीय स्‍टैंडर्ड तो नोटिफाई कर दिए हैं। जल्‍द ट्रेडर्स, एक्‍सपोर्टर और सरकारी विभागों से बातचीत कर कम्‍पलीट मानक तैयार किया जाएगा। इसे सार्वजनिक करने के बाद आम ग्राहकों के लिए बासमती की पहचान करना आसान हो जाएगा।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने बताया है क‍ि FSSAI ने पहली बार बासमती चावल के स्‍वाद और सुगंध को लेकर स्‍पष्‍ट व्‍याख्‍या दी है और अब किसी भी ग्राहक के लिए इसकी पहचान करना आसान हो जाएगा। दुकानदार भी चावल में मिलावटी सुगंध के जरिये बासमती बताकर उसे नहीं बेच सकेंगे।

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