असम: हिमंता सरकार करेगी असमिया मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन, कैबिनेट ने दी मंजूरी
By: Rajesh Bhagtani Sat, 09 Dec 2023 3:55:44
नई दिल्ली। हाल ही में हुई असम सरकार की कैबिनेट बैठक में मूल असमिया मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन करने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही बैठक में सरकार की ओर से कई और प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई है। इसमें स्वदेशी असमिया मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन अल्पसंख्यक मामलों के निदेशालय और चार क्षेत्रों के माध्यम से किया जाएगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि चार क्षेत्र विकास निदेशालय का नाम बदलकर अल्पसंख्यक मामलों और चार क्षेत्र विकास निदेशालय किया जाएगा।
2011 की जनगणना के मुताबिक 34 फीसदी से अधिक आबादी मुसलमानों की है। जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप के बाद यह तीसरा ऐसा राज्य हैं जहां मुसलमानों की आबादी सबसे अधिक है। राज्य की कुल आबादी 3.1 करोड़ है जिसमें से मुसलमानों की आबादी 1 करोड़ है। इनमें से 40 लाख मूल निवासी हैं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व सरमा ने बैठक के बाद एक्स पर लिखा कि अल्पसंख्यक मामले एवं कछार क्षेत्र निदेशालय के माध्यम से मूल असमिया मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन किया जाएगा। मंत्रिमंडल की बैठक में छार क्षेत्र विकास निदेशालय का नाम बदलकर अल्पसंख्यक मामले एवं छार क्षेत्र, असम करने का फैसला लिया गया। कैबिनेट ने माघ बिहू के दौरान आयोजित होने वाली पारंपरिक भैंसे और सांडों की लड़ाई की अनुमति देने के लिए विस्तृत प्रक्रिया/मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी करने को भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।
पुस्तकालय निर्माण के लिए 259 करोड़ रुपये मंजूर
हिमंता सरकार ने पुस्तकालयों के निर्माण के लिए 259 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। विशेष सहायता योजना के तहत छात्रों के लिए डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण कराया जाएगा। इसके अलावा माघ बिहू के दौरान पारंपरिक भैंस और बैलों की लड़ाई की अनुमति के लिए एसओपी जारी करने की भी मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार ने पिछले साल जुलाई में गोरिया, मोरिया, जोलाह (केवल चाय बागानों में रहने वाले), देसी और सैयद (केवल असमिया भाषी) समुदायों को मूल असमिया मुसलमानों के रूप में वर्गीकृत किया था।