भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल के बीच भारत सरकार ने सुरक्षात्मक कदम तेज़ कर दिए हैं। सरकार ने वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) की खरीद का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही 7 मई को देशभर के 259 जिलों में मॉक ड्रिल कराने का आदेश दिया गया है। यह कवायद उस समय की जा रही है जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर है। यह मॉक ड्रिल 1971 के बाद अपने तरह की पहली बड़ी तैयारी मानी जा रही है।
हमले के बाद सरकार हाई अलर्ट पर है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए ये मॉक ड्रिल कराई जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि मॉक ड्रिल क्या होती है, इसमें क्या होता है, इसका मकसद क्या है और यह ब्लैकआउट एक्सरसाइज से कितनी भिन्न है?
क्या होती है मॉक ड्रिल?
साधारण शब्दों में कहें तो मॉक ड्रिल का मकसद होता है यह जानना कि अगर एयर स्ट्राइक या बम धमाके जैसी कोई इमरजेंसी आए तो आम लोग, सेना और प्रशासन किस तरह की प्रतिक्रिया देंगे। इसमें यह देखा जाता है कि किन-किन एजेंसियों को कब और कैसे काम करना है, उनकी तालमेल कैसी है, कहां-कहां कमजोरियां हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है। मॉक ड्रिल का उद्देश्य एक तरह से पूरे सिस्टम और नागरिकों को किसी गंभीर स्थिति के लिए तैयार करना होता है।
मॉक ड्रिल में क्या-क्या होता है?
मॉक ड्रिल की प्रकृति इस बात पर निर्भर करती है कि इसका उद्देश्य क्या है। आमतौर पर सेना की मॉक ड्रिल में नकली विस्फोट, गोलीबारी और आतंकी हमले जैसी स्थितियां बनाई जाती हैं। सैनिक वैसे ही प्रतिक्रिया देते हैं जैसे असली हमले में देंगे। घायलों को निकालना, स्थान खाली कराना और हमले का जवाब देना जैसी कार्रवाइयां होती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल में 259 जिलों में हवाई हमले का सायरन बजेगा। लोगों को बचाव की ट्रेनिंग दी जाएगी। ड्रिल के दौरान ब्लैकआउट भी किया जाएगा ताकि महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और फैक्ट्रियों को छिपाकर सुरक्षित किया जा सके। नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की प्रक्रिया भी सिखाई जाएगी। इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना के साथ हॉटलाइन और रेडियो कम्युनिकेशन की जांच की जाएगी। कंट्रोल रूम और शैडो कंट्रोल के संचालन की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन भी किया जाएगा।
नागरिक सुरक्षा की तैयारी को लेकर केंद्र का रुख
अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड महानिदेशालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि मौजूदा हालात में देश को नई और जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में यह जरूरी है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा की तैयारियां हर वक्त बनी रहें। यह अभ्यास गांव स्तर तक किया जाएगा ताकि नागरिक सुरक्षा प्रणाली की स्थिति को जांचा जा सके और जरूरत के अनुसार उसे और मज़बूत किया जा सके। इस संबंध में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने एक बैठक बुलाई, जिसमें कई उच्च स्तरीय अधिकारी शामिल हुए। बैठक के बाद एनडीएमए के एक सदस्य ने ANI को बताया, “हम सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं और जिन खामियों को दूर करने की जरूरत है, उनकी पहचान हो चुकी है।”
ब्लैकआउट एक्सरसाइज से कितनी अलग होती है मॉक ड्रिल?
मॉक ड्रिल में इमरजेंसी जैसी स्थितियों को मानकर उस पर प्रतिक्रिया देने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। जबकि ब्लैकआउट एक्सरसाइज का फोकस सिर्फ एक ही चीज़ पर होता है — पूरे इलाके की लाइट्स बंद कर दी जाती हैं ताकि दुश्मन की हवाई नजरों से बचाव किया जा सके। इसका उद्देश्य इलाकों को सुरक्षित बनाए रखना है। जबकि मॉक ड्रिल एक समग्र प्रक्रिया है जिसमें कई चरण होते हैं और इसमें नागरिकों की भी सक्रिय भागीदारी होती है।